भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता के लिए आरके सिन्हा ने राज्यसभा में उठाई आवाज ,भोजपुर वासियों में दौड़ी खुशी की लहर

आरा।भोजपुर और भोजपुरी दोनों  की एक साथ धमक देश की सबसे बड़ी पंचायत में सुनाई पड़ी है जब भाजपा के सांसद आर के सिन्हा ने राज्यसभा में अपनी मिट्टी से जुड़ी भाषा और संस्कृति का मुद्दा उठा कर संसद को सोचने पर विवश कर दिया है।
संसद की कार्यवाही के दौरान पिछले दिनों जिस तरीके से सांसद आर के सिन्हा ने भोजपुरी भाषा की उपेक्षा का सवाल उठाया और संसद को भोजपुरिया मिट्टी और संस्कृति की याद दिलाई,तो  भोजपुर के लोगों में  खुशियां छा गयीं । राज्यसभा में भोजपुरी भाषा का सवाल गूंजा  तो दुनिया भर में फैले भोजपुरी  बोलने वाले लोगों  के दिल में  आर के सिन्हा के प्रति प्यार और अपनापन छलक उठा। 
आर के सिन्हा ने संसद में भोजपुरी भाषा की उपेक्षा के परिणाम बताए और कहा कि दुनिया भर में फैली इस भाषा की अपने ही देश मे उपेक्षा से लोगों  में  निराशा है। भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर राज्यसभा में आर के सिन्हा की सिंह गर्जना से भोजपुरी भाषी लोगों  में  उम्मीद की एक किरण जग गई है और लगता है कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं  अनुसूची में शामिल करने पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।
 आर के सिन्हा ने संसद में अपनी आवाज बुलंद करते हुए संसद और सरकार को ध्यान दिलाया कि कैसे शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भोजपुरी  में  शपथ लेने की कुछ सांसदों की इच्छा धरी की धरी रह गई क्योंकि इस भाषा को अब तक संवैधानिक मान्यता नहीं  मिल सकी है। भोजपुरी दुनिया की सबसे मीठी  भाषा के रूप में जानी जाती है।
भोजपुरी में  बात करते- करते सात समंदर पार के पराए भी अपने हो जाते हैं । एक दूसरे को अल्प समय में  अपनापन से ओतप्रोत कर देने वाली दुनिया की यह पहली भाषा है भोजपुरी जो भारत के कोने- कोने में तो बोली  ही जाती  है ,साथ ही त्रिनिदाद,नेपाल,भूटान,मॉरीशस,सिंगापुर,अमेरिका जैसे देशों में जहां भी अप्रवासी भारतीय निवास करते हैं ,वहां भोजपुरी बोली जाती है। मॉरीशस तो भोजपुरी भाषी देश की ही श्रेणी में गिना जाता है। 
भोजपुर के लोग बड़ी संख्या में सैकड़ों  साल पहले मजदूरी करने वहां कलकत्ता से पानी के जहाज से पहुंचे और बाद में मॉरीशस में अपनी दुनिया ही बना ली। आज मॉरीशस भोजपुरी का बड़ा केंद्र बना हुआ है और वहां की राजनीति में भी भोजपुरी वंशजों  का ही दबदबा कायम है। ऐसी प्रभावशाली भाषा की उपेक्षा से भोजपुर के लोगों  में   काफी निराशा है और यही वजह है कि भोजपुर की मिट्टी में जन्मे और पले बढ़े आर के सिन्हा ने अपनी भाषा को सम्मान दिलवाने का मुद्दा देश की सबसे बड़ी पंचायत राज्यसभा में उठाया और इस भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग संसद और सरकार से की है। 
राज्यसभा सदस्य  आर के सिन्हा की  इस पहल की चौतरफा चर्चा हो रही है और भोजपुर सहित पूरे शाहाबाद के लोगों  में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई है। दुनिया भर में रह रहे राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा के समर्थकों,सोशल मीडिया पर जुड़े उनके समर्थकों,शुभचिंतकों और अप्रवासी भारतीयों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं । भोजपुरी  को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आरा व अन्य इलाकों में लंबे समय से चल रहे आंदोलन को ताकत मिली है और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोगों  ने कहा है कि आर के सिन्हा ने सही अर्थों में अपनी भोजपुरिया मिट्टी का ऋण चुकाया है। आर के सिन्हा का मानना है कि भोजपुरी एक लोकप्रिय भाषा तो है ही भोजपुरी एक संस्कृति भी है। राजा भोज की नगरी भोजपुर और महाभारत के दौरान पांडवों के कुछ दिन के अज्ञातवास की धरती आरण्य की भूमि से निकला स्वर दुनिया की सबसे मीठी  भाषा बन गया।इस भाषा को अब संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने का इंतजार है।

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