बाढ़ से हजारों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद
निर्मली । नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र से आई प्रलयंकारी बाढ़ ने निर्मली प्रखंड के कुनौली, कमलपुर और डगमारा सहित सात पंचायतों के हजारों एकड़ में लगी धान की फसल को नुकसान पहुंच रहा है। बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। हजारों एकड़ से अधिक भूमि बेकार हो गयी है। खेतों में जलजमाव के कारण सम्पन्न किसानों के समक्ष आज मजदूरी करने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।
दरअसल 13 जुलाई को इन तीनों पंचायतों में आई बाढ़ से करोड़ों की जान माल की क्षति हुई है । दस हजार से अधिक परिवारों का घर बाढ़ के पानी में ध्वस्त हो गया। बीस हजार से अधिक परिवार अस्त-व्यस्त हो गये। बाढ़ के जलस्तर को देखकर लोगों में कोहराम मच हुआ था। सरकारी अधिकारी इलाके के दौरे पर हैं लेकिन आपदा सुविधा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
फिलहाल किसानों के समक्ष बर्बादी की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। धान की फसल को बाढ़ ने बर्बाद कर दिया है। कुनौली पंचायत के बॉर्डर व शांति वन से लेकर कमलपुर पंचायत में जल संसाधन विकास विभाग के समानांतर बांध, नेपाल के लालापट्टी से लेकर लोहापुल तथा डगमारा पंचायत के पिपराही, सिकरहट्टा, चुटियाही, नवका टोल, सोनापुर, राजपुर गांव के इलाकों की धान की फसल शत-प्रतिशत बर्बाद हो गई है। धान की फसल तो गई ही खेतों में बालू भर गया। साथ ही जलजमाव की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है।
दरअसल नेपाल से निकली इन नदियों का पानी बाढ़ के बाद भी खेतों से नहीं निकलता है। इस वजह से धान तो दूर रबी की फसल भी इसबार नहीं होगी। जल संसाधन विभाग के पश्चिम कोसी तटबंध के चौधरी चौक से पश्चिम डगमारा सीमा के पिपराही गांव तक कमलपुर पंचायत के वार्ड 08, 09 और डगमारा पंचायत के पिपराही गांव के पूर्वी भाग में जलजमाव बना रहता है। बाढ़ के इस विकट समय में आपदा सुविधा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
बाढ़ ने बना दिया कंगाल
किसान लक्ष्मण यादव, रामचंद्र यादव, बच्चू मुखिया, रामकरण कामत, ओमप्रकाश साह, विजय मंडल, शम्भू मंडल, वीरेंदर मंडल सहित अन्य किसान कहते है कि बाढ़ की समस्या से विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है।कुनौली के मुखिया सत्य नारायण रजक, कमलपुर पंचायत के सरपंच चितनारायण यादव और डगमारा पंचायत के मुखिया रविन्द्र कुमार कामत सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधि ने बताया कि बाढ़ ने किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया। बाढ़ ने इलाके के लोगों को भुखमरी की कगार पर लाकर छोड़ दिया है। बाढ़ के पांच दिन बीत रहे हैं लेकिन अभीतक कृषि विभाग के द्वारा फसल क्षति का निरिक्षण नहीं किया गया है. जिससे किसानों में आक्रोश है।