कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के खिलाफः आनंद शर्मा

नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कर्नाटक विधान सभा के बागी सदस्यों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान का सरासर उल्लंघन बताया है।

शर्मा ने इस प्रकरण पर व्यवस्था का सवाल उठाते हुए कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि कोई सदस्य अपनी पार्टी के निर्देशों के बावजूद विरोध में मतदान करता है अथवा सदन से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इस प्रकरण पर गत बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के खिलाफ है।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में डेरा जमाए कांग्रेस और जनता दल (एस) के बागी विधायकों को विधानसभा से अनुपस्थित रहने की छूट दे दी थी।

शर्मा  ने कहा कि  दलबदल रोकने संबंधी कानून संसद ने बनाया है जो अपने आप में संप्रभु संस्था है। संविधान में भी कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका की शक्तियों और अधिकारों का स्पष्ट रूप से विभाजन है। किसी एक संस्था को दूसरी संस्था के अधिकार क्षेत्र में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए।

सदन में शोरशराबे के बीच सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि यह मामला इस सदन के सामने नहीं है बल्कि यह कर्नाटक विधानसभा के समक्ष है। आनंद शर्मा ने जब इस मामले में सभापति से व्यवस्था की मांग की तो उन्होंने कहा कि वह बाद में इस संबंध में विस्तार से अपना फैसला सूचित करेगें।

ई दिल्ली, 18 जुलाई (हि.स.)। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कर्नाटक विधान सभा के बागी सदस्यों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान का सरासर उल्लंघन बताया है।

शर्मा ने इस प्रकरण पर व्यवस्था का सवाल उठाते हुए कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि कोई सदस्य अपनी पार्टी के निर्देशों के बावजूद विरोध में मतदान करता है अथवा सदन से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इस प्रकरण पर गत बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के खिलाफ है।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में डेरा जमाए कांग्रेस और जनता दल (एस) के बागी विधायकों को विधानसभा से अनुपस्थित रहने की छूट दे दी थी।

शर्मा  ने कहा कि  दलबदल रोकने संबंधी कानून संसद ने बनाया है जो अपने आप में संप्रभु संस्था है। संविधान में भी कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका की शक्तियों और अधिकारों का स्पष्ट रूप से विभाजन है। किसी एक संस्था को दूसरी संस्था के अधिकार क्षेत्र में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए।

सदन में शोरशराबे के बीच सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि यह मामला इस सदन के सामने नहीं है बल्कि यह कर्नाटक विधानसभा के समक्ष है। आनंद शर्मा ने जब इस मामले में सभापति से व्यवस्था की मांग की तो उन्होंने कहा कि वह बाद में इस संबंध में विस्तार से अपना फैसला सूचित करेगें।

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