जनसंख्या के हिसाब से राज्यवार तय हो अल्पसंख्यक का दर्जा: गिरिराज सिंह
बेगूसराय । बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह इन दिनों रोज सुबह-सुबह टि्वटर बम चलाकर विपक्षियों पर हमला कर रहे हैं। अब उन्होंने राज्यवार जनसंख्या के हिसाब से अल्पसंख्यक का दर्जा क्या करने संबंधी याचिका का समर्थन किया है। शनिवार को गिरिराज सिंह का यह ट्वीट भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का समर्थन माना जा रहा हैैै। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक का दर्जा राज्यवार जनसंख्या के हिसाब से होना चाहिए, यह जरूरी है। बताया गया है कि अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दायर कर केंद्र की 26 साल पुरानी उस अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2-सी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। याचिका में अल्पसंख्यक को परिभाषित करने वाला दिशा-निर्देश तय करने की मांग करते हुए कहा गया है कि राष्ट्रीय आंकड़ों के बदले राज्यवार जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक परिभाषित किया जाये। पूर्व की अधिसूचना स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनयापन जैसे बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है।
गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को दिये गये आवेदन का जवाब नहीं मिलने पर यह याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय आंकड़े के अनुसार बहुसंख्यक हिंदू पूर्वोत्तर के कई राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर में अल्पसंख्यक हैं। इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों को मिलने वाले लाभ से हिंदू वंचित हैं। इस परिप्रेक्ष्य में अल्पसंख्यकों की परिभाषा पर विचार करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 2011 की जनगणना के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में 2.5, मिजोरम में 2.75, नगालैंड में 8.75, मेघालय में 11.53, जम्मू एवं कश्मीर में 28.44, अरुणाचल प्रदेश में 29, मणिपुर में 31.39 तथा पंजाब में 38.40 प्रतिशत हिंदू हैं जबकि अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त मुस्लिम की आबादी लक्षद्वीप में 96.20, जम्मू एवं कश्मीर में 68.30, असम में 34.20, पश्चिम बंगाल में 27.5, केरल में 26.60, उत्तर प्रदेश में 19.30 तथा बिहार में 18 प्रतिशत हैंं। याचिका में कहा गया है कि बहुसंख्यक होने के बाद भी इन जगहों पर मुस्लिम अल्पसंख्यक को मिलने वाला लाभ ले रहे हैं और असली अल्पसंख्यक अधिकार से वंचित हैं।
याचिका के समर्थन में गिरिराज सिंह के खड़े होने के बाद अल्पसंख्यक का दर्जा तय करने की मांग तेज हो गई है तथा सोशल मीडिया के माध्यम से लोग यहां जोर शोर से मांग उठाने लगे हैं।