शिक्षक नियुक्ति में धांधली की निष्पक्ष जांच कराई जाये :माकपा
कोलकाता । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति में हुई भारी धांधली की निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की है। संगठन के राज्य महासचिव सूर्यकांत मिश्रा ने शनिवार अपराह्न इस बारे में एक बयान जारी किया है।
इसमें उन्होंने कहा है कि जिस बड़े पैमाने पर राज्य में शिक्षक नियुक्ति में धांधली हुई है, वह चौंकाने वाला है। इसके लिए यह जरूरी हो गया है कि सुप्रीम अथवा हाई कोर्ट की निगरानी में निर्दिष्ट जांच एजेंसी के जरिए इस धांधली की जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने योग्य उम्मीदवारों को जल्द से जल्द शिक्षक के तौर पर नियुक्त करने की मांग की। इसके अलावा राज्य भर में इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन करने का आह्वान भी उन्होंने किया है।
उल्लेखनीय है कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि पश्चिम बंगाल में 2016 से 2018 तक शिक्षक नियुक्ति में व्यापक धांधली हुई हैं। प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लाखों लोग परीक्षा में बैठे थे जिनमें से हजारों लोगों का नंबर घटाया और बढ़ाया गया है। कई लोगों को परीक्षा नहीं देने के बावजूद मेरिट लिस्ट में शामिल कर दिया गया है।इस बारे में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने यह कह कर अपना पीछा छुड़ाया है कि शिक्षक नियुक्ति के लिए जिम्मेवार सरकारी संस्था स्कूल सेवा आयोग स्वशासित है और उसमें हुई किसी भी धांधली के लिए वह जवाबदेह नहीं हैं। जबकि स्कूल सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष ने यह कह कर अपना पीछा छुड़ाया है कि जब धांधली हुई तब वे अध्यक्ष नहीं थे। इधर हजारों लोग शिक्षक की परीक्षा पास करने के बावजूद वेटिंग लिस्ट पर विगत तीन सालों से हैं। सीएजी की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली होने के बावजूद मैनुअल तरीके से उसमें छात्रों का नाम घुसाया गया, उनके नंबर बढ़ाए गए और नियुक्ति पत्र दिए गए। यहां तक की संवैधानिक नियमों को दरकिनार कर राज्य सरकार ने नियुक्ति परीक्षा के सारे दस्तावेज भी नष्ट कर दिए और सीएजी को समीक्षा के लिए मूल प्रति भी मुहैया नहीं कराई गई।