चन्द्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी इसरो को बधाई

नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह के विषय में अधिक जानकारी जुटाने के लिए भेजे गए चन्द्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा है, ‘दिल से भारतीय, जज़्बे से भारतीय!’

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा है कि यह सभी देशवासियों के लिए गर्व का विषय है। भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन को आगे बढ़ाने के लिए वह देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देते हैं। आशा है कि इसरो नई तकनीकों पर महारत हासिल करते हुए नए आयामों में अपनी पहुंच बनाएगा। उम्मीद है कि मिशन नई खोजों को जन्म देगा और हमारे ज्ञान को अधिक समृद्ध करेगा।

उप राष्ट्रपति ने कहा है कि वह प्रारंभिक कठिनाइयों का शीघ्र और सफलतापूर्वक समाधान कर चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हैं। उनकी उपलब्धियों ने देश को गौरवान्वित किया है। देश आशान्वित है कि अगले 52 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा के बाद चंद्रयान-2, चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा। इस मिशन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ, देश में विकसित तकनीकों का अधिकाधिक प्रयोग किया गया है जो हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम की परिपक्वता दर्शाता है। यह मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए नए आयाम खोलेगा। विश्व भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस मिशन की सफलता के प्रति आशान्वित हैं। यह विशेष हर्ष और संतोष का विषय है कि इस मिशन में महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इस मिशन की सफलता के लिए देश की महिला वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं का भी अभिनंदन है।

मिशन की लांचिंग का सीधा प्रसारण देख रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास का विशेष क्षण है। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण हमारे वैज्ञानिकों और 130 करोड़ भारतीयों के विज्ञान के हर बार नए स्तर पर पहुंचने के संकल्प को दर्शाता है। आज हर भारतीय को गर्व है, ‘दिल से भारतीय, जज़्बे से भारतीय!’ हर भारतीय के लिए सबसे खुशी की बात यह है कि  चंद्रयान-2 पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है।

उन्होंने कहा कि इसमें चंद्रमा को दूर से समझने के लिए एक ऑर्बिटर है और चंद्रमा की सतह के विश्लेषण के लिए लैंडर-रोवर मॉड्यूल भी है। चंद्रयान-2 इस बात में अलग है कि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करेगा, जहां अब तक कोई मिशन नहीं पहुंचा है और न ही उसने वहां की मिट्टी के नमूने लिए हैं। यह मिशन चंद्रमा के बारे में हमारी समझ को बेहतर करेगा। चंद्रयान-2 जैसे प्रयास हमारे उज्ज्वल युवाओं को विज्ञान, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और नवाचार की ओर प्रोत्साहित करेगा।

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