अभिभावकों ने लगाया जींद-गोहाना मार्ग पर जाम

134-ए के तहत निजी स्कूलों में दाखिले न होने पर बिफरे अभिभावक
लगभग आधा घंटा बाधित रहा मार्ग 
जींद । 134-ए परीक्षा पास करने के बावजूद स्कूलों में बच्चों के दाखिले न होने के रोष स्वरूप सोमवार को अभिभावकों ने लघु सचिवालय के सामने जींद-गोहाना मार्ग पर जाम लगा दिया। जाम लगाए अभिभावकों ने शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा कि लगभग दो महीने से उनके बच्चों की पढ़ाई खराब हो रही है, इसके अतिरिक्त निजी स्कूल संचालक नाजायज ढंग से परेशान कर रहे हैं और नाजायज पैसे मांग रहे हैं। स्कूल संचालक बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे हैं। ऐसे में वो अपना दुखड़ा किसके समक्ष रोएं। अभिभावकों के लामबंद होने की सूचना मिलने पर तहसीलदार मनोज अहलावत व सिविल लाइन थाना प्रभारी जगदीश चंद्र पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचे और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर शीघ्र समस्या के निदान का आश्वासन दिया। लगभग आधा घंटे लगे जाम के कारण यात्रियों तथा वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। 
134-ए के तहत पुराने व नए सत्र में अभिभावकों को आ रही परेशानियों को लेकर अभिभावक स्वास्थ्य सहयोग संगठन के नेतृत्व में लघु सचिवालय के निकट एकत्रित हुए और जींद-गोहाना मार्ग पर जाम लगा दिया। जाम लगाए अभिभावकों ने कहा कि पहले 134-ए के तहत रिजल्ट लेट आया। फिर स्कूल आबंटन में देरी हुई। इन सब बातों में एक माह का समय निकल गया। ना जाने अभिभावकों ने शिक्षा अधिकारियों के कार्यालय के कितने चक्कर लगाए और अब स्कूल आबंटित हुए तो उन्हें आस जगी कि उनके बच्चे भी अच्छे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। पिछले तीन दिन से अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला करवाने के लिए निजी स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन निजी स्कूल बच्चों का दाखिला नहीं कर रहे हैं। कभी फंड तो कभी किसी अन्य चीज का बहाना बना अभिभावकों तथा बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है। निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिला जा रहा है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। निजी स्कूलों तथा अधिकारियों के खिलाफ डीसी को भी दी गई है लेकिन सिवाए आश्वासनों के उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई शुरू हुए सवा माह का समय बीत चुका है और उनके बच्चों का अभी तक स्कूलों में दाखिला तक नहीं हुआ है। कैसे उनके बच्चे सिलेबस को कवर कर पाएंगे। अभिभावकों ने तो यहां तक कह डाला कि खुद शिक्षा विभाग ने 134-ए को मजाक बना कर रख दिया है। 

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