अवैध बालू खनन के चलते अंग्रेजों के जमाने का रेलवे ब्रिज खतरे में

ब्रिज को बालू खनन से बचाने के लिए पिलर में चारों ओर लगाये गये बोल्डर

केन्द्रीय राज्यमंत्री के पैतृक गांव में बने 111 साल पुराने रेलवे ब्रिज को नहीं की गई विदाई

हमीरपुर । उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में बांदा-भरुआ सुमेरपुर-कानपुर रेलवे मार्ग पर पत्यौरा के पास यमुना नदी में बना अंग्रेजों के जमाने का रेलवे ब्रिज पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के पैतृक गांव में बने इस रेलवे ब्रिज के एक सौ ग्यारह साल पूरे हो चुके हैं लेकिन इसकी जगह पर नया ब्रिज बनाये जाने के लिये अभी तक पहल नहीं की जा सकी। इस ब्रिज से रोजाना लम्बी दूरी की ट्रेनों के साथ कई मालगाड़ियां भी गुजरती हैं।
बांदा-कानपुर रेलवे मार्ग को जोड़ने के लिये भरुआ सुमेरपुर रेलवे स्टेशन से करीब 18 किमी. दूर यमुना साउथ पत्यौरा में रेलवे ब्रिज अंग्रेजी हुकूमत में बना था। यमुना नदी में पत्यौरा गांव के पास यह रेलवे ब्रिज 1908 में बनाकर ट्रेनों के आवागमन के लिये शुभारंभ किया गया था। इस रेलवे ब्रिज से पहले तो कम ट्रेनें गुजरती थी लेकिन मौजूदा में तमाम यात्री ट्रेनों के साथ मालगाड़ियां भी गुजरती हैं। यमुना नदी पर यही एक मात्र रेलवे ब्रिज है जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ता है। इस ब्रिज ने अब 111 साल पूरे कर लिये हैं लेकिन इसके बावजूद रेलवे विभाग ने इस ब्रिज की विदाई नहीं की है। यमुना साउथ पत्यौरा में नये रेलवे ब्रिज को बनाये जाने के लिये कोई प्लानिंग तक नहीं की जा रही है। हालांकि आसपास के लोगों का कहना है कि यह रेलवे ब्रिज आज भी सुपर है क्योंकि इसका निर्माण अंग्रेजों के जमाने में हुआ था। यह रेलवे ब्रिज केन्द्रीय राज्यमंत्री साध्वीं निरंजन ज्योति के पैतृक गांव पत्यौरा में बना है, इसलिए इस ब्रिज और स्टेशन को विकास के नये आयाम दिये जाने की अपेक्षा है। 
तीन हजार फीट लम्बा है रेलवे ब्रिज

तीन हजार फीट लम्बे इस ब्रिज पर 12 पिलर बने हैं जिनमें एक पिलर से दूसरे पिलर की दूरी करीब 250 फीट है। रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर उपेन्द्र के मुताबिक इस ब्रिज के पिलरों को कटान से बचाने के लिये पिलर के चारों ओर बोल्डर लगाकर फाउन्डेशन के कार्य कराये गये हैं। साथ ही दो फीट ऊंची जाली भी चारों ओर से लगायी गयी है। उन्होंने बताया कि इस रेलवे ब्रिज के ऊपर स्लीपर और रिंगों को भी सुरक्षा के लिहाज से बदला जा चुका है। समय-समय पर जांच भी होती है।  
दक्षिण भारत की तकनीकी टीम ने की थी ब्रिज की जांच 

यमुना साउथ बैंक क्षेत्र में रेलवे के सीनियर सेक्शन के इंजीनियर उपेन्द्र कुमार ने बताया कि कुछ साल पहले दक्षिण भारत से तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने यमुना साउथ बैंक के इस ब्रिज की जांच की थी। जांच के बाद टीम ने रेलवे के उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी थी जिसमें इस रेलवे ब्रिज का समय पूरा होने लेकिन इसकी लाइफ अभी बची बताई गई है। उन्होंने बताया कि ब्रिज की समय-समय पर रिंग व पटरियों की जांच होती है, इसलिए यह ब्रिज आज भी अवैध कटान को झेलने में सक्षम है। 
लाइनों के दोहरीकरण के साथ जल्द बनेगा नया रेलवे ब्रिज

यमुना साउथ बैंक के सीनियर सेक्शन इंजीनियर उपेन्द्र कुमार ने बताया कि मानिकपुर से भीमसेन तक रेलवे लाइन के दोहरीकरण की बड़ी योजना बनायी गयी है जिसके साथ ही यमुना साउथ पत्यौरा में एक नया रेलवे ब्रिज भी बनेगा। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत से आई रेलवे के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम की जांच और सर्वे रिपोर्ट के बाद यह परियोजना बनायी गयी है। परियोजना में मानिकपुर से भीमसेन तक लाइन डबलिंग होगी। ये महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्य कुछ ही साल के अंदर शुरू हो जायेगा। इसके लिये परियोजना को मंजूरी भी मिल चुकी है। 

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