असहमति के बावजूद जनमत के निर्णय का करें सम्मान : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में किये जा रहे विरोध के बीच उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को इशारों ही इशारों में विपक्षी दलों को नसीहत दी कि वह जनमत का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र का मूल मंत्र, संवाद व बहस के जरिये किसी निर्णय पर पहुंचना है। लोकतंत्र में असहमति होने के बावजूद भी जनमत से लिये गये निर्णय को स्वीकार करना चाहिए।

नायडू आज भारतीय छात्र संसद (बीसीएस) और एमआईटी स्कूल ऑफ़ गर्वंमेंट (एमआईटी-एसओजी) द्वारा विज्ञान भवन में संयुक्त रूप से आयोजित चार दिवसीय 10वीं भारतीय छात्र संसद के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने केरल विधानसभा के अध्यक्ष पी. रामकृष्णन को आदर्श विधानसभा अध्यक्ष के पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि वास्तव में लोकतंत्र प्रशासन की सबसे अच्छी प्रणाली है, मेरा हर सांसद और जन प्रतिनिधि से आग्रह रहा है कि वे हर मंच पर लोकतांत्रिक विमर्श के स्तर को और ऊंचा करें। उन्होंने कहा कि हमें राजनीति सहित जीवन के हर क्षेत्र को मिशन के रूप में लेना चाहिए। राजनीति जन साधारण की सेवा का एक माध्यम है, समाज में आर्थिक सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से राष्ट्रीय विकास प्रक्रिया को और विकसित करने तथा लोकतांत्रिक जड़ों को और सुदृढ़ करने का प्रयास है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.