आठ महीने बाद भी मनोनीत पार्षद नहीं किए घोषित : अब मामला पहुंचा अदालत में

चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम के गठन के बाद से ही निर्वाचित पार्षदों के नतीजे आने से पूर्व ही मनोनीत पार्षदों की नाम घोषित कर दिए जाते थे परन्तु इस बार ये सूची चण्डीगढ़ के प्रशासक की ओर से जारी ना होने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। अब ये मामला हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुँच गया है।
स्थानीय भाजपा नेता व मनोनीत पार्षदों की अंतिम संभावित 32 मनोनीत पार्षदों की सूची में शामिल मनीमाजरा निवासी जसपाल सिंह ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इस बाबत याचिका दायर की है।
उनके मुताबिक निगम चुनाव हुए साल होने वाला है और इस बार अभी तक प्रशासन द्वारा नॉमिनेटेड काउंसलर्स की नियुक्ति नहीं की गई है। जसपाल सिंह ने प्रशासक बीएल पुरोहित, गृह सचिव, सचिव, लोकल बॉडीज और निगम को इसकी कमिश्नर अनंदिता मित्रा के जरिए पार्टी बनाया है। एडवोकेट मंदीप के साजन याची की ओर से केस में पैरवी करेंगे। हाईकोर्ट में जल्द याचिका सुनवाई के लिए लगेगी।
याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाए कि वह नगर निगम के नॉमिनेटेड काउंसलर्स के नाम नोटिफाई कर पब्लिश करे। पंजाब म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत यह कार्रवाई करने को कहा गया है। निगम की सुचारु कार्रवाई, चंडीगढ़ के कल्याण और न्यायहित में यह कार्रवाई करने को कहा गया है।
इसके अलावा मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाए कि याची की उस अर्जी पर भी फैसला लें जिसमें उन्होंने नॉमिनेटेड काउंसलर के लिए उनके नाम पर विचार करने की मांग की थी। याची ने कहा है कि वह समाज सेवी है और एंटी करप्शन सोसाइटी के प्रेसिडेंट हैं। इसके अलावा भी वह कई समाज कल्याण की संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
कहा गया है कि एक्ट के मुताबिक वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले काउंसलर्स लोगों द्वारा चुने जाते हैं। वहीं 9 नॉमिनेटेड काउंसलर्स प्रशासक द्वारा चुने जाते हैं। प्रशासनिक कामों और निगम संचालन की व्यवहारिक जानकारी रखने वाले लोगों को प्रशासक चुनता है। कहा गया है कि निगम के जनरल इलैक्शन के साथ ही नॉमिनेटेड काउंसलर्स का भी चयन हो जाना चाहिए था। याची ने कहा है कि समाज सेवी होने के साथ ही उन्हें निगम प्रशासन की भी विशेष जानकारी है।
उल्लेखनीय है कि पहले निगम के नॉमिनेटेड काउंसलर्स मेयर चुनावों में वोट डालते थे। इस वोटिंग राइट को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने वोटिंग राइट पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन पर सुनवाई लंबित है।
यहां ये भी उल्लेखनीय है कि इस बार कुल 32 आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया था जिनमें से 26 की वेरिफिकेशन हो रखी है जिनमें आरटीआई एक्टिविस्ट व पत्रकार एवं समाजसेवी जसपाल सिंह भी शामिल हैं।

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