आरबीआई गवर्नर ने भी माना, मंदी की ओर बढ़ रहा है देश

मुंबई । भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट संकेत दिया है कि जून 2019 के बाद से देश में मंदी का संकट गहराता जा रहा है। मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक सात अगस्त को हुई थी लेकिन बैठक की कार्यवाही बुधवार को जारी की गई है।
आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि घरेलू विकास दर में कमी और वैश्विक आर्थिक माहौल में अनिश्चितता के कारण घरेलू मांग को बढ़ाने और निवेश को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अप्रैल-मई 2019 में घटकर 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है, जबकि एक साल पहले विदेशी निवेश 7.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। घरेलू पूंजी बाजार में चालू वित्त वर्ष के दौरान शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश(एफपीआई) 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया है। पिछले साल की समान अवधि में एफपीआई की ओर से पूंजी प्रवाह 8.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था। साथ ही दो अगस्त,2019 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 16.1 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। मार्च अंत तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 429.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था। रिजर्व बैंक ने जून में 51,710 करोड़, जुलाई में 1,30,931 करोड़ और अगस्त में 2,04,921 करोड़ की लिक्विडिटी (तरलता) अवशोषित की है।
आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि इस बात के साफ संकेत हैं कि घरेलू मांग में लगातार कमी आ रही है। मई में भी औद्योगिक गतिविधियां लगातार थमती गई हैं, खासकर मैन्युफ़ैक्चरिंग, बिजली उत्पादन और खनन सेक्टर में इसका साफ़ असर दिख रहा है। इसके अलावा कैपिटल गुड्स और कन्ज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आठ प्रमुख कोर सेक्टर में भारी गिरावट का असर देखा जा रहा है। पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और सीमेंट सेक्टर में भी मंदी का असर दिखाई दे रहा है। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद जताई है कि मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने पिछले तीन बार से रेपो रेट में जो कटौती की है, उसका असर धीरे-धीरे दिखाई देगा।

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