उन्नीस के चुनाव में नरेन्द्र मोदी बीस

-वाराणसी में विपक्ष हार का अंतर कम कर पाया तो होगा बड़ा कमाल, अजय राय और शालिनी यादव करेंगे मुकाबला 
नई दिल्ली । पूर्वांचल के वाराणसी का मतदाता ठीक 24 दिन बाद अपने संसदीय क्षेत्र के भावी प्रतिनिधि का चुनाव करेगा। इस सीट पर सारी दुनिया की नजर है। यहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोबारा चुनाव मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख नेता वाराणसी के प्रवास पर हैं। गंगा तट पर बसे आदिकालीन शहर बनारस में शुक्रवार को नामांकन करने से पहले और बाद में प्रधानमंत्री अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखे। 
यहां 19 मई को मतदान है। नरेन्द्र मोदी 2014 में यहां से आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 मतों से हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। इस बार जीत का अंतर इसलिए भी बढ़ सकता है कि विपक्ष से कोई कद्दावर नेता उनके सामने नहीं है। 
साल 1991 के बाद से हुए आम चुनाव में 2004 को छोड़ दिया जाए तो वाराणसी में कमल ही खिला है। 2009 का आम चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे कठिन रहा। यहां से मुरली मनोहर जोशी सिर्फ 17 हजार वोटों से चुनाव जीत पाए थे। ऐसा तब हुआ जब यहां का जातीय गणित भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में है। वाराणसी संसदीय क्षेत्र में इस समय करीब साढ़े तीन लाख वैश्य, ढाई लाख ब्राह्मण, तीन लाख से ज्यादा मुस्लिम, डेढ़ लाख भूमिहार, एक लाख राजपूत, दो लाख पटेल, अस्सी हजार चौरसिया को मिलाकर करीब साढ़े तीन लाख ओबीसी और करीब एक लाख दलित वोटर है। वैश्य, ब्राह्मण और राजपूत भारतीय जनता पार्टी के परंपरागत मतदाता माने जाते हैं। 
कांग्रेस ने पिछले चुनाव में जमानत जब्त करा चुके अपने नेता अजय राय और समाजवादी पार्टी ने शालिनी यादव को प्रधानमंत्री के खिलाफ उतारकर सिर्फ औपचारिकता का निर्वाह किया है। अलबत्ता अगर प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से चुनाव लड़तीं तो हार का अंतर कुछ कम हो सकता था। पिछली बार वाराणसी से भारतीय जनता पार्टी को 5,81,022 और आम आदमी पार्टी को 2,09,238 वोट मिले थे। कांग्रेस के अजय राय 75,614 मत पाकर तीसरे क्रम में जरूर रहे परन्तु वह अपनी जमानत गंवा बैठे। यही स्थिति बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की रही। 
इस बार विशेषता यह है कि नरेन्द्र मोदी सिर्फ वाराणसी से किस्मत आजमा रहे हैं। पिछली बार वह अपने गृह राज्य गुजरात के वडोदरा से भी चुनाव लड़े थे। उन्होंने वडोदरा में 1014 के आम चुनाव की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। मोदी ने निकतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री को 5,70,128 मतों से हराकर इतिहास रचा था। मोदी की इस जीत आम चुनाव के इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी जीत के रूप में दर्ज है। आम चुनाव के इतिहास में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अनिल बसु बना चुके हैं। 2004 के आम चुनाव में वह पश्चिम बंगाल के आरमबाग से 5,92,502 मतों से जीते थे। 
वैसे तो वाराणसी जिले में 28 लाख 29 हजार 204 मतदाता हैं लेकिन वाराणसी संसदीय क्षेत्र में लगभग 18 लाख वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस बार 18 से 19 साल के बीच के 10504 नए मतदाता भी अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे। संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में कुल 17 लाख 96 हजार, 930 मतदाता हैं। इनमें आठ लाख एक हजार 563 महिला और नौ लाख 95 हजार 263 पुरुष और 104 अन्य मतदाता हैं। पिछले आम चुनाव में 17 लाख 66 हजार 487 मतदाताओं ने हिस्सा लिया था।

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