जामिया हिंसा की जांच की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को करेगी सुनवाई

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए कमेटी बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है । हाईकोर्ट इस मामले पर गुरूवार 19 दिसम्बर को सुनवाई करेगा। यह याचिका रिजवान ने दायर किया है। रिजवान ने अपनी याचिका में दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि उसने कानून-व्यवस्था के नाम पर बल प्रयोग किया । छात्र अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस ने इसे कुचलने की कोशिश की। पुलिस ने छात्रों की पिटाई की, आंसू गैस के गोले छोड़े और यहां तक कि लड़कियों को भी नहीं बख्शा। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने आस पास के लोगों और पत्रकारों पर भी हमला किया। ये सब कुछ आतंक पैदा करने के लिए किया गया । याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने संविधान की धारा 14, 15, 19, 20, 21, 25, 29 और 30 का उल्लंघन किया। याचिका में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में पूरी घटना की जांच कराने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि छात्रों के खिलाफ तब तक कोई निरोधात्मक कार्रवाई या एफआईआर दर्ज नहीं की जाए जब तक कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट न दे दे। याचिका में दिल्ली सरकार को घायल छात्रों को चिकित्सा सहायता और मुआवजा देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट दिल्ली पुलिस को निर्देश दे कि वो विश्वविद्यालय परिसर में बिना अनुमति के प्रवेश नहीं करे।

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