तीन जन्मों के पापों से मुक्ति वाली है जन्माष्टमी

जींद । देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव के अलग रंग दिखाई देते हैं। उनका बचपन लीलाओं से भरा पड़ा है। उन्हीं अवतारों में से भगवान श्रीकृष्ण का अवतार श्रद्धालुओं के लिए खास मायने रखता है। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म श्रद्धालु जन्माष्टमी के तौर पर मनाते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए भक्तजन उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर्व युगों के बाद अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। जिस तरह द्वापर युग में अष्टमी तिथि को सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे ठीक इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर भी रोहिणी नक्षत्र में ये अद्भुत संयोग पड़ रहा है। हालांकि इस बार जन्माष्टमी 23 अगस्त या 24 अगस्त को मनाई जाए, इसे लेकर श्रद्धालु भी असमंजस में हैं। उदया तिथि को मानने वाले 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने का तर्क दे रहे हैं जबकि रोहिणी नक्षत्र जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उसके आधार पर शुभ मुहुर्त 23 अगस्त को ही पड़ रहा है। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री के अनुसार इस बार श्रद्धालु 24 अगस्त को ही जन्माष्टमी पर्व को मनाएंगे। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर द्वापर जैसा संयोग बन रहा है। इस बार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा के उच्च होने से ये अद्भुत संयोग बन रहा है। यह सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ति का योग है। इसमें भगवान कृष्ण की अराधना से विशेष फल प्राप्त होगा। इस विशेष योग को पुराणों में तीन जन्मों के पापों से मुक्ति वाला बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। इसलिए भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है। 

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