बैलाडीला खदान में उत्पादन शुरू करवाने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख स्टील एवं स्पंज आयरन उद्योग को बचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से गुहार लगायी गई है। इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड युनियन कांग्रेस) ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि बैलाडीला स्थित एनएमडीसी डिपॉजिट-13 तथा अन्य खदानों में उत्पादन शुरू करवाया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो छत्तीसगढ़ में स्टील एवं स्पंज आयरन उद्योग पर भीषण आर्थिक संकट आने वाला है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दिये गए दो पन्नों के ज्ञापन में कहा गया है कि स्टील उत्पादन में भिलाई स्टील प्लांट राज्य में सबसे प्रमुख है। लेकिन स्पंज आयरन के राज्य में 85 संयत्र होने के बावजूद कच्चा माल और लौह अयस्क के लिए छत्तीसगढ़ अधिकांश तौर पर ओडीशा राज्य पर ही निर्भर करता है। ओडिशा के अधिकांश खदानों में उत्पादन की समय सीमा वर्ष 2020 में खत्म हो रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क आधारित उद्योग पर भीषण संकट आने वाला है। छत्तीसगढ़ इंटक के संजय सिंह ने गुरूवार को हिन्दुस्थान समाचार से बात करते हुए कहा कि ओडिशा के खदानों में उत्पादन की समय सीमा 2020 तक की तय है। उस वक्त तक छत्तीसगढ़ में अगर हमने अपनी तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की तो राज्य में लौह अयस्क पर आधारित सभी उद्योग बुरी तरह प्रभावित होंगे। जिसका सीधा असर राज्य में रोजगार व राजस्व पर पड़ने वाला है। संजय सिंह कहते हैं कि दूसरे राज्यों पर निर्भर होने की वजह से हमारे यहां स्पंज आयरन उद्योग पर पहले से ही दयनीय हालात में हैं। बैलाडीला खनन क्षेत्र के बारे में वे कहते हैं कि यहां से मिलने वाले लौह अयस्क की गुणवत्ता विश्वस्तरीय उच्च गुणवत्ता वाला है। जिससे राज्य और अधिक राजस्व और राज्य के उद्योगों को मरने से बचाया जा सकेगा। इंटक ने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा है कि एनएमडीसी डिपॉजिट-13 से उत्पादन का शुरू होना राज्य के उद्योगों को संजीवनी देने जैसा होगा। इंटक ने बैलाडीला में खनन के विरोध में आदिवासियों की चिंता के बारे में मुख्यमंत्री से बात की है। संजय सिंह ने बताया कि इंटक ने बैलाडीला क्षेत्र में आदिवासियों की चिंता पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा की है। इंटक ने मांग है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए, जिसमें स्थानीय नागरिकों समेत, जनप्रतिनिधि, समाज के प्रतिष्ठित लोग, विषय के जानकार तथा पर्यावरणविदों को शामिल करें। समिति के लोग आदिवासियों से बात कर उनकी चिंता और संशय को दूर करेंगे तथा पर्यावरण के मुद्दे का भी समाधान कर सकेंगे। इंटक ने मुख्यमंत्री से राज्य में जितने भी लौह खदानें हैं, उनमें उत्पादन शुरू करने तथा नये खदानों के सर्वेक्षण कर उन्हें भी उत्पादन योग्य बनाने की मांग की है।

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