भारतीय वायुसेना में उड़ान भरने लगे अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर

नई दिल्ली। डबल इंजन होने की वजह से काफी शक्तिशाली माने जाने वाले अमेरिकी मूल के चिनूक हेलीकॉप्टरों ने अब भारतीय वायुसेना के लिए कार्य करना शुरू कर दिया है। पिछले साल 25 मार्च को वायुसेना के बेड़े में शामिल हुए चिनूक हेलीकॉप्टरों को लद्दाख क्षेत्र में सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र सहित उच्च ऊंचाई वाले स्थानों पर सैन्य उपकरण पहुंचाने के कार्य में लगाया गया है। भारतीय वायुसेना ने शुक्रवार को ट्वीट कर खुलासा किया है कि ‘चिनूक हेलीकॉप्टर उत्तरी क्षेत्र में परिचालन मिशन पर उड़ान भर रहे हैं। इनकी बहुमुखी प्रतिभा और हर मौसम में उड़ान भरने की खासियत से वायुसेना की हेली-लिफ्ट क्षमता में भी वृद्धि हुई है।’ भारत ने सितम्बर,2015 में बोइंग कम्पनी के साथ 8,048 करोड़ रुपये में 15 सीएच-47एफ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया था। इन 15 हेलीकॉप्टर में से चार भारत को 2019 में मिल चुके हैं। बाकी हेलीकॉप्टर इस साल तक भारत को मिलने की उम्मीद है। इन चारों हेलीकॉप्टरों को 25 मार्च,2019 को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। खुद अमेरिका इनका महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में इस्तेमाल करता है। अमेरिका ने दो मई,2011 को पाकिस्तान के एब्टाबाद में घुसकर लादेन का खात्मा करने के लिए चिनूक हेलीकॉप्टरों का ही इस्तेमाल किया था।

हालांकि ये हेलीकॉप्टर 1962 से प्रचलन में हैं लेकिन बोइंग ने समय-समय पर इनमें सुधार किया है, इसलिए आज भी करीब 26 देशों की सेनाएं इनका इस्तेमाल करती हैं। वायुसेना के बेड़े में शामिल करते वक्त तत्कालीन एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि देश की सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए चिनूक हेलीकॉप्टर बेहद अहम साबित होगा। इनकी मदद से भारतीय वायुसेना ऊंचे और दुर्गम इलाकों में भारी भरकम साजो-सामान ले जाने में सक्षम हो सकेगी। अमेरिका के डेलावेयर में चार हफ्ते चिनूक हेलीकॉप्टर उड़ाने की ट्रेनिंग ले चुके आशीष गहलावत बताते हैं कि चिनूक हेलीकॉप्टर में दो रोटर इंजन लगे होने से यह तेजी से 20 हजार फीट की ऊंचाई तक 315 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी खासियत है कि यह बेहद घनी पहाड़ियों में भी सफलतापूर्वक काम करता है। चॉपर के नीचे तीन हुक लगेे होने से चिनूक हेलीकॉप्टर 11 टन तक का भार उठाने और किसी भी तरह के मौसम का सामना करने में सक्षम है।

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