भारत में एक लाख से ज्यादा हैं हीमोफीलिया के पीड़ित
नई दिल्ली । हीमोफीलिया फेडरेशन इंडिया (एचएफआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सेवानिवृत्त विंग कमांडर एसएस रॉय चौधरी ने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रत्येक 10 हजार लोगों में से एक व्यक्ति हीमोफीलिया से पीड़ित है। इस रेकॉर्ड को देखते हुए भारत में 1 लाख 33 हजार से ज्यादा हीमोफीलिया के मरीज हैं। बदकिस्मती से हम बेहतर आधारभूत ढांचे के अभाव में अब तक केवल हीमोफीलिया के 22 हजार मरीजों की पहचान कर पाए हैं। जिन मरीजों की पहचान हो भी गई है, उनको भी हीमोफीलिया के वर्ल्ड फेडरेशन के मानकों के अनुसार पर्याप्त रूप से बेहतर इलाज और दवाइयां नहीं मिल रही हैं।
रॉय ने शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हीमोफीलिया के मरीजों के सामूहिक, व्यापक, बेहतर इलाज और अच्छी देखभाल के लिए एचएफआई ने आठ सूत्रीय अपील स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी है। रॉय ने कहा कि उन्हें आशा है कि सरकार, मंत्रालय और सभी संबंधित विभाग इस हालात पर जल्द से जल्द काबू पाने के लिए कदम उठाएंगे। इन सभी मामले में एचएफआई सभी संभव तरीकों से सरकार के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।
उल्लेखनीय है कि हीमोफीलिया खून के थक्के जमने की क्षमता को प्रभावित करने वाली आनुवांशिक रोग है। इस रोग में जरा सी चोट लगने या शरीर पर हलका सा कट लगने से मरीजों के शरीर में क्लोटिंग प्रोटीन की कमी से, जिसे फैक्टर्स कहा जाता है, खून का थक्का नहीं जमता। अगर इसकी पर्याप्त देखभाल नहीं की जाती तो जोड़ों और मांसपेशियों में बार-बार और लंबे समय तक खून बहने से स्थायी दिव्यांगता भी आ सकती है। संवेदनशील अंगों से लगातार खून बहने से मौत भी हो सकती है। हीमोफीलिया का एकमात्र संभव इलाज केनल मरीजों को एंटी हीमोफिलिक फैक्टर्स एएचएफ से संबंधित दवाइयां देना है, जो बेहद कीमती होती है, न तो यह दवाएं भारत में बनाई जाती है और न ही देश में आसानी से मिलती हैं।