मण्‍डी में सुखराम व वीरभद्र की झप्पी नहीं आई काम

मंडी । दादा के कंधों पर सवार होकर अपनी जिंदगी का पहला व सबसे बड़ा चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा के लिए न तो उनके दादा सुखराम व पूर्व मु यमंत्री वीरभद्र सिंह की झप्पी काम आई है और न ही दादा-पौते के आंसू कांग्रेस को वोट दिला सके। लोकसभा चुनाव की शुरूआत में ही फिर से कांग्रेस में वापसी करने वाले सुखराम व आश्रय शर्मा को मंडी संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं जनता ने एक तरह से नकार दिया है।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद सुखराम ने वीरभद्र से दिल्ली में मिल कर झप्पी डाली थी और सारे गिले शिकवे भूल कर वीरभद्र भी आश्रय के लिए चुनाव प्रचार के उतरे थे। उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र में कई बड़ी जनसभाएं आश्रय शर्मा के लिए की थीं। कांग्रेस ने भी सुखराम व वीरभद्र की झप्पी को चुनाव में खूब प्रचारित किया, लेकिन यह झप्पी काम नहीं आई है। यही नहीं पौते को मंडी सीट से टिकट दिलाने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान कई बार सुखराम की आंखों से आंसु भी निकले। 
नामाकंन रैली के दिन तो पंडित सुखराम सेरी मंच पर ही रो पड़े थे और उन्होंने जनता से माफी भी मांगी थी। वहीं इसी तरह से चुनाव प्रचार के दौरान कई बार आश्रय शर्मा की आंखे भी भर आई, लेकिन जनता ने इन आंसुओं का कोई मोल नहीं लगाया है। चुनाव प्रचार के दौरान पंडित सुखराम व आश्रय शर्मा ने कई बार दावा किया पिछले विस चुनावों में भाजपा की सरकार बनाने में पंडित सुखराम का सबसे अहम योगदान रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव में मंडी की जनता ने इसे भी वोटबंदी कर खारिज कर दिया है।

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