सिकल सेल एनीमिया का हर्बल उपचार संभव, सेलिन –एचबीएस बनाने वाली कंपनी का दावा

ए आई फाइटोसूटिकल्स (पी) लिमिटेड ने दावा किया कि सिकल सेल एनीमिया का हर्बल तरीके से उपचार संभव

नई दिल्ली सिकिल सेल एनीमिया अनुवांशिक बीमारी का अब हर्बल उपचार भी संभव है। एस ए आई फाइटोसूटिकल्स (पी) लिमिटेड  ने दावा किया है कि सेलिन -एचबीएस  से भारत में सिकल सेल एनीमिया के मरीजों का उपचार किया जा सकता है। कंपनी के अनुसार सेलिन एचबीएस विश्व का पहला हर्बल उपचार पद्धति है। कंपनी ने पूरे भारत में उत्पाद के  वितरण और बिक्री के लिए एक्यूरथ पार्टनर्स के साथ करार किया है।

  दवाई बनाने वाली कंपनी एस ए आई फाइटोसूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अनिल भंसाली ने बताया कि सेलिन-एचबीएस  एक नई बेहतर रसायन विज्ञान है और इसमें 90% से अधिक एंटी-ब्लीडिंग गुण हैं। सेलिन-एचबीएस  को बहुत सुरक्षित पाया गया है और कोई जोखिम नहीं है इसलिए कोई एंटीडोट की आवश्यकता नहीं है।  एक्यूरथ पार्टनर्स के विशाल गौड़  ने कहा, “हमने नाइजीरिया में सेलिन -एचबीएस के सफल परिणाम देखे हैं। यह बाकी दवाओं औऱ चिकित्सा पद्धति के मुकाबले सस्ती है और प्रभावी भी है। भारत, जो नाइजीरिया और डीआर कांगो के बाद दुनिया में सिकल सेल एनीमिया के साथ तीसरे नंबर पर है, मिजोरम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मणिपुर, झारखंड से आदिवासी आबादी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, गुजरात, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और असम आदि भारतीय राज्यों में इस बीमारी का प्रचलन है।

दुनिया भर में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित 3.50 लाख लोग हैं। भारत में सिकल सेल एनिमिया से ग्रस्ति 20% बच्चों की दो साल की उम्र से मृत्यु हो गई और आदिवासी समुदाय के बीच सिकिल सेल एनिमिया  वाले 30% बच्चों की मृत्यु वयस्क होने से पहले ही हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित लगभग 90% रोगी 20 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं। 2001 में एक अध्ययन के अनुसार, सिकल सेल रोगियों के लिए जीवित रहने की अनुमानित आयु पुरुषों के लिए 53 वर्ष और महिलाओं के लिए 58 वर्ष थी। सिकल सेल एनिमिया एक आनुवांशिक बीमारी है। इस बमारी में पूरे शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं। 

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