सीबीआई रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह के हत्यारों का सुराग देने वाले को देगी 10 लाख का इनाम

केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बार फिर जारी किए पोस्टर, लोगों से मामले की जांच में मांगा सहयाेग 
आरा । केद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखिया के हत्यारों का सुराग देने वाले के लिए 10 लाख का इनाम देने की घोषणा की है। साथ ही एक बार पुन: इस आशय का पोस्टर जारी कर लोगों से सहयोग मांगा है। बुधवार को सीबीआई ने भोजपुर और आरा में कई सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाकर मुखिया हत्याकांड में कातिलों का सुराग देने वाले को दस लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। आम आदमी भी अपराधियों का सुराग दे सके, इसके लिए सीबीआई ने फोन और मोबाइल नम्बर भी जारी किए हैं। उल्लेखनीय है कि आरा में करीब सात साल पहले 01 जून, 2012 की सुबह करीब चार बजे रणवीर सेना के सुप्रीमो रहे बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखिया की हत्या कर दी गई थी। घटना के समय वह कतीरा स्थित आवास पर मॉर्निंग वॉक कर रहा थे। मुखिया की हत्या से बिहार की सियासत में जैसे भूचाल आ गया था। आरा परिषदन, आरा का प्रखण्ड कार्यालय,सर्किट हाउस आदि इलाका आग की भेंट चढ़ गया। हालात इतने बेकाबू हो गए थे कि सड़कों पर वाहन जलते रहे और पुलिस हवाई फायरिंग कर खुद की जान बचाती रही। बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखिया की शव यात्रा में शामिल होने के लिए बिहार के कोने-कोने से लाखों लोग पहुंचे थे। इस बीच भी आरा से लेकर पटना तक जमकर बवाल होता रहा। बिहार शासन-प्रशासन खामोश रहा। भूस्वामियों और खासकर भूमिहार वर्ग ने मुखिया की हत्या के बाद देश-दुनिया को अपनी चट्टानी एकता और ताकत का अहसास करा दिया था। बाद में पुलिस ने रणवीर सेना सुप्रीमो की हत्या मामले की जांच कर आठ लोगो के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें कोई दम नजर नहीं आया। अंतत: मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।लेकिन सीबीआई भी घटना के करीब सात साल बाद भी मुखिया के हत्यारों तक नहीं पहुंच सकी है। उसे कातिलों का कोई सुराग नहीं मिला है। हत्यारों का सुराग देने वाले को एकबार फिर सीबीआई ने दस लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है और तमाम पोस्टर लगाते हुए लोगों से सहयोग करने की अपील की है। वहीं इससे लोगों के मन मे यह बात फिर कौंधने लगी है कि आखिर देश की सबसे विश्वसनीय जांच एजेंसी रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखिया के हत्यारों तक पहुंच भी पाएगी या यह मामला भी जांच दर जांच के दायरे तक ही सिमट कर रह जाएगा।

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