स्कूलों में दाखिला लेने में लड़कों से आगे निकली लड़कियां

बजट में महिलाओं के कल्याण के लिए 28,600 करोड़ रुपए आवंटित

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण योजना ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’  का असर दिखने लगा है। स्कूलों में दाखिला लेने में लड़कों से लड़कियां आगे निकल गई है। बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर स्कूलों में लड़कियों के दाखिले का 94.32 प्रतिशत है जबकि लड़कों का प्रतिशत 89.28 है। वहीं उच्च प्राथमिक स्तर पर लड़कियों का प्रतिशत 81.32 प्रतिशत है जबकि लड़कों का 78 प्रतिशत है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भी लड़कियों की मौजूदगी 59.70 प्रतिशत है। जबकि लड़को का प्रतिशत 57.54 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि माता औऱ बच्चों की सेहत आपस में जुड़ी हुई है। सेहत के लिए सही पोषण सबसे जरूरी है। इसलिए प्रधानमंत्री ने 2018 में पोषण अभियान की शुरूआत की थी। इसमें छह लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन दिया गया था। इसके तहत 10 करोड़ घरों के पोषण स्टेटस के बारे में जानकारी इक्कत्रित की गई। इस लिए वर्ष 2020-21 के लिए 35600 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

गर्भधारण की उम्र तय करने के लिए टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव 
बजट भाषण देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिलाओं की शादी की उम्र वर्ष 1978 में 15 साल से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया था। केन्द्रीय सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के कारण महिलाओं में पोषण का स्तर बढ़ा है और प्रसव के दौरान महिला मृत्यु दर में कमी दर्ज हुई है। इन सबके बीच लड़कियों के विवाह की उम्र व गर्भधारण की उम्र को महिलाओं के सेहत की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। इसलिए इस संबंध में एक टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव रखती हूं जो अपनी रिपोर्ट छह महीने में सौपेगी। 

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