आम आदमी को अब डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लिये ज्यादा जेब ढ़ीली करनी होगी
नई दिल्ली । रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग होने वाले डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लिये आम आदमी को अब ज्यादा जेब ढ़ीली करनी होगी। इसकी वजह कच्चे माल के दाम में उछाल है। नेस्ले, पारले और आईटीसी जैसी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों का कहना है कि गेहूं, खाने के तेल और चीनी जैसे कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं। इनके भाव 12 से 20 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसके चलते उन्हें या तो उत्पाद की कीमतें बढ़ानी पड़ेगी या तो उसकी मात्रा (पैक) साइज घटाना पड़ेगा। दूध की कीमतों में भी गत दिन तीन रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।नेस्ले इंडिया के अध्यक्ष सुरेश नारायणन ने कहा कि कच्चे माल की कीमतों में उछाल ने दबाव बढ़ा दिया है। आम तौर पर हम अपने स्तर पर इस तरह से दबाव से निपटने की कोशिश करते हैं। दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर हम कीमतें बढ़ाते हैं। हालांकि, हमें यह पता है कि कीमतें बढ़ने से इन उत्पादों की पहुंच पर असर पड़ेगा।आईटीसी के कार्यकारी अध्यक्ष (एफएमसीजी) बी सुमंत ने कहा कि कई तरह के उत्पादों के कच्चे माल की कीमतें बढ़ी हैं। कीमतें बढ़ाने का फैसला आम तौर पर सबसे बड़ी कंपनी करती है। हमें इस तरह की घोषणा की जल्द उम्मीद है।बिस्कुट, इंस्टैंट नूडल्स, स्नैक्स, फ्रोजेन फूड, केक और रेडी टू इट मील की उत्पादन लागत ऐसे वक्त बढ़ी है, जब पहले से लोग खाद्य महंगाई का सामना कर रहे हैं। नवम्बर में खाद्य महंगाई दर 11 प्रतिशत के छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसकी सबसे बड़ी वजह सब्जियों की कीमतों में उछाल है।उल्लेखनीय है कि इससे पहले कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट की कीमतों में भी वृद्धि हुई है।इसके पीछे फ्लैट पैनल की कीमतें हैं। इसके अलावा एनर्जी रेटिंग के नए नियमों से भी टीवी और फ्रिज की उत्पादन लागत बढ़ गई है।