(आलेख) संजय दत्त दूध का धुला और साध्वी प्रज्ञा आतंकी-आर.के.सिन्हा

इस बार के लोकसभा चुनावों पर आगे चलकर जब कभी भी चर्चा होगी या कोई शोधार्थी जब कोई शोध पत्र लिखेगा तो यह भी बताया जाएगा कि उस चुनाव में 1993 के मुम्बई में हुए बम विस्फोटों का गुनहगार संजय दत्त खुल्लम-खुल्ला तरीके से कांग्रेस के लिए वोट मांग रहा था। मुंबई बम विस्फोट में 270 निर्दोष नागरिक मार गए थे और सैकड़ों जीवनभर के लिए विकलांग हो गए थे। सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई कई दिनों तक पंगु हो गई थी। उन धमाकों के बाद मुंबई पहले जैसी रौनक और बेखौफ जीवनवाली कभी नहीं रही।
दरअसल, 12 मार्च,1993 को मुंबई में कई जगहों पर बम धमाके हुए थे। जब वो भयानक धमाके हुए थे, तब मुंबई पुलिस के कमिश्नर एम.एन.सिंह थे। सरकार कांग्रेस की थी पर पुलिस कमिश्नर कड़क अफसर थे। उन्होंने एक बार कहा भी था कि यदि संजय दत्त अपने पिता सुनील दत्त को यह जानकारी दे देते कि उनके घर में हथियार हैं तो मुंबई में धमाके होते ही नहीं। उनका कहना था कि यह जानकारी सुनील दत्त पुलिस को दे देते। लेकिन संजय दत्त ने यह नहीं किया। काश संजय दत्त ने उपरोक्त तथ्य अपने पिता से साझा की होती तो मुंबई तबाह होने से बच जाती। तब सैकड़ों मासूम लोग नहीं मरते। हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति तबाह न होती।
मुंबई धमाकों के आरोपियों पर सुप्रीम कोर्ट तक में लम्बा केस चला। उस केस की सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को गुनहगार माना था। संजय दत्त ने अपने बचाव में तमाम दलीलें दी। बड़े-बड़े, नामी-गिरामी वकीलों को लाखों रुपये की फीस देकर खड़ा किया, पर उनकी दलीलों को कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को छह बरस की कठोर कारावास की सजा सुनाई। संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज सिद्दीकी से अवैध बंदूकें प्राप्त करने, उन्हें अपने घर में रखने और अंत में विस्फोट और दंगे के बाद नष्ट करने की कोशिश का दोषी माना गया था। कोर्ट में पेश साक्ष्यों के आधार पर ये हथियार उसी जखीरे का हिस्सा थे, जिन्हें बम धमाकों और मुंबई पर हमले के दौरान इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तानी आतंकियों के माध्यम से मंगवाया गया था। संजय दत्त ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था, ‘मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित था। इन अवैध और तस्करी कर लाये हथियारों को रखने का यही कारण था। मैं घबरा गया था और कुछ लोगों के कहने में आकर मैंने ऐसा किया।’ आप समझ सकते हैं कि यह कितना पिलपिला-सा तर्क था। संजय दत्त के गुनाह को जानने के लिए उस दौर में जाना होगा जब पूरी मुंबई धमाकों से खून से लथपथ हो गई थी। अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को गिरा दिया गया था। तब संजय दत्त अपने मुंबई के पाली हिल के बंगले में एक-दो नहीं पूरे 71 एके-47 तथा एके-56 अस्सौल्ट राइफलें छुपाकर रखे थे। संजय दत्त के मुंबई धमाकों से संबंध का पता चला था 16 अप्रैल, 1993 को। मुंबई के एक अखबार ‘डेली’ ने पुख्ता साक्ष्यों के साथ एक खबर छापी थी कि संजय दत्त भी धमाकों का गुनहगार है। उस खबर में सिलसिलेवार यह बताया गया था कि संजय दत्त के बंगले में कौन-कौन और कब हथियार लेकर आया था।
बहरहाल, अब तो संजय दत्त अपनी जेल की सजा काट के बाहर आ चुके हैं। वही संजय दत्त इस चुनाव में मुम्बई की सड़कों पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की फोटो के साथ कांग्रेस का झंडा लेकर कांग्रेस का प्रचार कर रहे थे। कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे थे। कांग्रेस को जिताने की अपील करते घूम रहे थे। इस चुनाव में खुद उनकी बहन प्रिया दत्त मुंबई नॉर्थ सेंट्रल संसदीय सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार भी हैं। मुंबई में 29 अप्रैल को वोट डाल दिए गये हैं। संजय दत्त जैसे पतित व्यक्ति के कांग्रेस के लिए स्टार प्रचारक बनने पर किसी भी कांग्रेसी नेता को कोई आपत्ति नहीं थी। ये वही कांग्रेस है जो साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने के खिलाफ लगातार हंगामा मचा रही है। हालांकि साध्वी पर अभी आरोप है। देश की किसी कोर्ट ने किसी भी मामले में कोई सजा नहीं सुनाई है। उन्हें अब तक किसी भी अपराध का दोषी नहीं माना गया है। हिन्दू आतंकवाद का आरोपी बनाकर मनमोहन सरकार ने उन्हें पूरे नौ वर्ष जेल में बंद कर रखा और गंभीर यातनाएं दीं। कांग्रेस को संजय दत्त दूध का धुला नजर आ रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस साध्वी के पीछे पड़ी है। साध्वी प्रज्ञा उसी तरह जमानत पर हैं जिस तरह राहुल और उनकी मां सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड की सरकारी संपत्ति को अपनी कंपनी के नाम बेचकर जालसाजी के मामले में जमानत पर हैं। यह दोगली मानसिकता बंद होनी चाहिए। साध्वी को कोर्ट का फैसला आने से पहले ही गुनहगार मानने वाले भूल रहे हैं कि इस देश के एक प्रधानमंत्री ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद क्या कहा था। राजीव गांधी ने 19 नवंबर, 1984 को राजधानी के बोट क्लब पर एकत्र जनसमूह को कहा था -‘जब इंदिराजी की हत्या हुई थी़, तो हमारे देश में कुछ दंगे-फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना गुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।’ अभी राजीव गांधी के उस शर्मनाक वक्तव्य को देश भूला नहीं है। अपने शर्मनाक वक्तव्य से उन्होंने हजारों सिखों के कत्ल को सही करार दिया था। अब उन्हीं राजीव गांधी की कांग्रेस साध्वी को बिना सबूत के धमाकों के लिए गुनहगार मान रही है। साध्वी के मामले में उसे कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं है। राहुल और सोनिया पर धोखाधड़ी के लिखित सबूत हैं। वे भी जमानत पर हैं, लेकिन वे चुनाव भी लड़ रहे हैं और गालियां भी दे रहे हैं।
प्रिया दत्त भी आजकल भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तमाम आरोप लगा रही हैं, पर क्या उन्होंने कभी अपने भाई संजय दत्त से पूछा कि उन्होंने देश के दुश्मनों से क्यों संबंध बनाए थे? क्यों उन्होंने अपनी ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित पत्नी रिचा शर्मा को उसकी मृत्यु शैय्या पर होने की हालत में भी तलाक दे दिया था? क्यों संजय दत्त ने अपनी पहली पत्नी की पुत्री को फिल्मों में आने की कभी अनुमति नहीं दी? चूंकि प्रिया महिला हैं। इसलिए उन्हें इन चुभते हुए नारी उत्पीड़न के सवालों को अपने भाई से पूछना चाहिए। बहन नम्रता को भी संजय के साथ मुंबई की सड़कों पर वोट मांगने में लज्जा नहीं आई। तो मान लिया जाए कि अब इस देश में धमाकों के गुनहगार खुलेआम वोट मांगेंगे?
( लेखक राज्यसभा के सदस्य हैं।)

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