देहरादून में लीची का सीजन, मजदूरों के सत्यापन में जुटी पुलिस

देहरादून। देहरादून पंच चकारों के लिए मशहूर है। इनमें चाय, चावल, चोब (लकड़ी), चकोतरा एवं चूना प्रमुख है लेकिन यह पांचों चकार लगभग समाप्त होने के कगार पर आ गए हैं। देहरादून की मशहूर लीची भी खत्म होती जा रही है। लिहाजा, देहरादून में पंच चकारों की पहचान हाशिये पर आ गई है। इधर, राज्य में फलों का सत्र शुरू हो गया है। इसके लिए अन्य राज्यों से मजदूर आएंगे। अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस इन मजदूरों के सत्यापन की तैयारी में जुट गई है। 
अमरूद के टेस्ट की लीची
वर्तमान सर्किट हाउस कम से कम दस प्रकार की लीचियों के लिए मशहूर था। वहां के पुराने माली सुरेन्द्र बताते हैं कि यहां गुलाबी लीची, अमरूद के टेस्ट की लीची, नींबू के टेस्ट की लीची जैसी अलग-अलग प्रजातियां होती थी लेकिन अब यह लीचियां जनसंख्या घनत्व के साथ-साथ समाप्त होती जा रही हैं। उत्तराखंड में भी अब बाहरी राज्यों से लीची आने लगी है। लीची का सीजन प्रारंभ होने जा रहा है, ऐसे में उनकी रखवाली के लिए बाहरी क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग आते हैं। इनमें कुछ लोग आपराधिक प्रवृत्ति के भी होते हैं। ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस विभाग ने कमर कस ली है ताकि उत्तराखंड में आपराधिक वारदातें न हो। इस संदर्भ में पुलिस विभाग द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से बाहरी मजदूरों के सत्यापन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 

होगा बाहरी मजदूरों का सत्यापन
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती का कहना है कि मई महीने के अंत तक फलों का मौसम शुरू हो जाता है। यहां भारी संख्या में बाहरी मजदूर आते हैं। इन दिनों चोरी, चैन स्नैचिंग, टप्पेबाजी जैसे आपराधिक घटनाओं की वारदातें बढ़ जाती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए बाग का ठेका लेने वाले ठेकेदारों से सम्पर्क कर बाहरी मजदूरों का सत्यापन कराया जाएगा ताकि आपराधिक वारदातों पर अंकुश लगाया जा सके। राजधानी बनने के बाद गर्मियों के दिनों में आपराधिक वारदातें बढ़ोतरी देखी जाती है जिस पर अंकुश लगाने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। 

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