पड़ोसियों और कोविड से बुरी तरह प्रभावित देशों को पेरासिटामोल और एचसीक्यू का होगा निर्यात

देश की जरूरतों के हिसाब से पहले इन दवाओं का स्टॉक होगा सुनिश्चित

नई दिल्ली । भारत कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे विश्व में अपनी घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपने पड़ोसी देशों और महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों को आवश्यक दवा पेरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) की कुछ हद तक आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मंगलवार को एक बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि भारत उसपर निर्भर सभी पड़ोसी देशों में उचित मात्रा में पेरासिटामोल और एचसीक्यू की सप्लाई का लाइसेंस देगा। इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति विशेष रूप से महामारी से बुरी तरह प्रभावित कुछ देशों को भी की जाएगी। प्रवक्ता ने आगे कहा कि ऐसा करते समय भारत की विभिन्न परिस्थितियों में उत्पन्न होने वाली जरूरतों को पूरी तहत से ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न परिदृश्यों के तहत संभावित आवश्यकताओं के लिए एक व्यापक मूल्यांकन किया गया है। वर्तमान में परिकल्पित सभी संभावित आकस्मिकताओं के लिए दवाओं की उपलब्धता की पुष्टि होने के बाद दवाओं के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को काफी हद तक हटा लिया गया है। डीजीएफटी ने कल 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगाने को अधिसूचित किया है। प्रवक्ता ने कहा कि दवाओं को बनाने वाली कंपनियां अपने यहां उचित स्टॉक सुनिश्चित कर बाकी दवाओं का अपनी प्रतिबद्धताओं के आधार पर निर्यात कर सकती है। उन्होंने कहा कि पेरासिटामोल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) को लाइसेंस श्रेणी में रखा गया है और उनकी मांग की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। हालांकि स्टॉक की स्थिति को देखते हुए कंपनियों को अनुबंधित निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा सरकार ने मीडिया को इस फैसले को विवादित बता राजनीतिक मुद्दा बनाने से बचने की सलाह दी है। प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 संबंधित दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा करने का मीडिया का एक वर्ग प्रयास कर रहा है। किसी भी जिम्मेदार सरकार की तरह वर्तमान सरकार का भी पहला दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि देश के नागरिकों की आवश्यकता के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक हो। यह सुनिश्चित करने के लिए कई दवा उत्पादों के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए कुछ अस्थायी कदम उठाए गए थे।

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