बेपरवाह सांसदों को गांव गोद लेने के लिए प्रेरित करने में जुटा मंत्रालय

नई दिल्ली । केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से लोकसभा और राज्यसभा के महज 300 सांसदों ने गांव गोद लिए हैं। जबकि दोनों सदनों को मिलाकर कुल 788 सांसदों की संख्या होती है। इस स्थिति को देखकर ग्रामीण विकास मंत्रालय सकते में आ गया है और अब मंत्रालय उन बेपरवाह सांसदों को गांव गोद लेने के लिए प्रेरित करने में जुट गया है। दरअसल, केंद्र में वर्ष 2019 में राजग की दूसरी बार सरकार बनने पर सांसदगण गांव को गोद लेने में कम रुचि दिखा रहे हैं। वर्ष 2014 में राजग की सरकार बनने और प्रधानमंत्री मोदी की पहल के बावजूद कई गैर भाजपा शासित राज्यों के सांसदों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली थी, लेकिन तब ऐसी स्थिति नहीं थी। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि इससे अच्छी राजनीति के दरवाजे खुलेंगे। इस योजना के तहत हर सांसद अपने इलाके में कोई भी गांव चुन सकता है, लेकिन इनमें उनका अपना गांव या ससुराल का गांव नहीं होगा। इसके बावजूद राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल (वर्ष 2019 से 2024) की योजना शुरू होने पर सांसदों में गांव लेने के लिए किसी तरह का उत्साह नहीं दिखाई दिया और फरवरी तक की स्थिति के अनुसार, अभी तक कुल महज 300 सांसदों ने ही गांव को गोद लिया है। यह हालत तब है जब वर्ष 2019  में जीते नए सांसदों को गांवों को गोद लेने की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। सांसदों की इस स्थिति को देखते हुए मंत्रालय ने सांसदों को पत्र लिखकर गांव गोद लेने की अपील की है। गौरलब है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांवों में हर बुनियादी सुविधा का विस्तार किया जाता है। बिजली, सड़क, पानी, स्कूल, पंचायत भवन, चौपाल, गोबर गैस प्लांट, स्वास्थ्य आदि सुविधाओं का विस्तार इन गांवों में करने की योजना के मद्देनजर ही सांसदों को गांव चुनने के लिए कहा जाता है। इसके तहत सांसदों और जिले के अफसरों को समय-समय पर गांवों में कैंप लगाकर उनकी मांगों पर गौर करने और शिकायतों को दूर करने का भी निर्देश है।

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