राजभवन में अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम का स्थापना दिवस आयोजित

शिमला: अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम राज्यों के स्थापना दिवस पर आज राजभवन में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इन राज्यों के हिमाचल प्रदेश में रह रहे नागरिकों को हिमाचली टोपी, शॉल और गमला भेंट कर सम्मानित किया और उनके साथ संबंधित राज्यों की संस्कृति, धरोहर, रीति-रिवाज़ और उच्च परम्पराओं पर विस्तृत चर्चा की। लेडी गवर्नर एवं राज्य रेडक्रॉस अस्पताल कल्याण अनुभाग की अध्यक्षा जानकी शुक्ला भी उपस्थित थीं। इस अवसर पर, राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राजभवन नियमित तौर पर देश के विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस पर सम्मान समारोह का आयोजन कर रहा है और उन राज्यों से संबंधित व्यक्तियों को राजभवन में आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित करता है और सामुहिक तौर पर उनकी खुशी में शामिल होता है। ये सभी कार्यक्रम ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की परिकल्पना को साकार करने के दृष्टिगत आयोजित किए जा रहे हैं ताकि भारत की एकता और अखंडता और मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि हर राज्य की अपनी विविध संस्कृति है और यही विविधता भारत की ताकत भी है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों, परंपराओं और प्रथाओं के संपर्क से राज्यों के बीच समझ और जुड़ाव और बढ़ेगा। श्री शुक्ल ने हिमाचल में रह रहे अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम राज्यों के नागरिकों को राज्य के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया था, 20 फरवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वाँ राज्य बना। आज अरुणाचल प्रदेश विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। सीमा से सटे गांवों को वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज का दर्जा देकर उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब सीमा से सटे हर गांव में संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे, वहीं से समृद्धि की शुरुआत होगी। वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज प्रोग्राम के तहत सरहदी गांवों से पलायन को रोकने और वहां पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि 20 फ़रवरी 1987 को मिज़ोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। मिज़ोरम शब्द का स्थानीय मिज़ो भाषा में अर्थ है, पर्वतनिवासीयों की भूमि। मिज़ोरम में शिक्षा की दर तेजी से बढ़ी हैं। मिज़ो समाज में वर्ग और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव दिखाई नहीं देता। इनमें से 90 प्रतिषत लोग कृषक हैं और गाँव एक बड़े परिवार की तरह होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों ने यहां की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित रखा है और अपनी विकासात्मक सोच से प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। ये राज्य पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक तो है ही लेकिन यहां की संस्कृति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के विकास में यहां रहे रहे इन राज्यों के नागरिक भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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