सैकड़ों बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ भरी हुंकार, 22 फरवरी को 72 घंटे की होगी हड़ताल
चंडीगढ़। सभी कानूनों को ताक पर रखकर मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ बिजली कर्मचारी 22 फरवरी से 72 घंटे की हड़ताल करेंगे। सरकार ने इसके बाद भी निजीकरण का फैसला वापिस नहीं लिया तो इस हड़ताल को अनिश्चितकालीन भी किया जा सकता है। यह ऐलान मंगलवार को 24 घंटे की हड़ताल करने उपरांत सैक्टर 17 में आयोजित रैली को सम्बोधित करते हुए यूटी पावरमैन यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह व महासचिव गोपाल दत्त जोषी ने किया। रैली में मौजूद बिजली कर्मियों व अभियन्ताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के संयोजक व ईईएफआई के महासचिव प्रशांत नन्दी चौधरी, कोर कमेटी मैम्बर व अखिल भारतीय पावर इन्जीनियर फैड़रेशन के अध्यक्ष ई.शैलेन्द्र दुबे, ईईएफआई के उपाध्यक्ष व अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लाम्बा, अखिल भारतीय पावर डिप्लोमा इंजीनियर के अभिमन्यु धनकड़, जम्मू कष्मीर पावर इंजीनियर के सचिन टिक्कू, एमएसयू पंजाब के हरभजन सिंह, हिमाचल के बिजली कर्मचारियों के नेता कुलदीप सिंह, हीरा लाल वर्मा, ऑल हरियाणा पावर कार्पोरेषन के महासचिव नरेष कुमार, वरिष्ठ उप प्रधान शब्बीर अहमद, सीटू चण्डीगढ़ के प्रधान गुरदीप सिंह, कुलदीप सिंह व दिनेष प्रसाद, फैड़रेषन ऑफ यूटी इम्पलाईज एण्ड वर्करज के प्रधान रघबीर चन्द, राजेन्द्र कटोच, हरकेष चन्द ने घोषित हड़ताल का पुरजोर समर्थन किया। उल्लेखनीय है कि बिजली कर्मचारियों ने मंगलवार को सफल हड़ताल करके अपने इरादे जाहिर कर दिए कि बिजली का निजीकरण किसी भी कीमत बरदाष्त नहीं करेंगे।
हड़ताल के दौरान कोई भी कम्पलेंट व षिकायत अटैन्ड नहीं हुई न ही दफ्तरों में कोई काम हुआं कहने को तो प्रषासन ने एक्स ई एन व एस डी ओ की डयूटी लगाई थी लेकिन वे फोन सुनने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाये तथा न बन्द बिजली चला पाये न ही फाल्ट ठीक कर पायें। बिजली के सभी कर्मचारी पूर्ण हड़ताल कर भारी गिनती में षिवालिक होटल सैक्टर 17 के सामने की गई रैली में शामिल हुए। हड़ताली कर्मचारियों की रैली में बिजली कर्मचारियों के अलावा यूटी के अन्य विभागों व पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के कर्मी नेता भी शामिल हुए। हड़ताली कर्मियों की रैली को सम्बोधित करते हुए केन्द्र सरकार व चण्डीगढ़ प्रषासन की निजीकरण की नीति की तीखी निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार लगातार 5 साल से सस्ती बिजली देकर भी लगातार मुनाफे में चल रहे चण्डीगढ़के बिजली विभाग 20000 करोड़ से अधिक की प्रापर्टी को 871 करोड़ में बेच दिया है वह भी उस कम्पनी को जिसका बिजली का रेट चण्डीगढ़ से दुगुने से अधिक है।
यह सरेआम जनता की पोपर्टी की लूट है। इसका कर्मचारियों के साथ साथ जनता पर बहुत विपरीत असर पड़ेगा। वक्ताओं ने केन्द्र सरकार को जोर देकर कहा कि सरकार अपना गैरकानूनी फैसला वापिस ले। रैली के दौरान डी सी चण्डीगढ़ के मार्फत पंाजब के गर्वनर व चण्डीगढ़ के प्रषासक को दिये ज्ञापन में एनसीसीओईईई ने कहा कि सरकार मुनाफे का निजीकरण तथा घाटे का सरकारीकरण कर रही है। चण्डीगढ़ का केस स्पष्ट तौर पर अप्रमाणिकता का केस है। सारी जमीन की कीमत 1 रुपये कहाँ से वाजिब है। विभाग के ट्रांसफर के बाद सी.ए.जी. का ऑडिट भी बंद हो जाएगा इसलिए बेचने से पहले संपत्ति को अडिट किया जाये। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि बोलने से पहले कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से राय भी नहीं ली गई। उन्होंने चेतावनी दी कि निजीकरण का प्रोसेस शुरू करने से पहले बिजली एक्ट की धारा 133 के तहत कर्मचारियों की सेवा शर्ते व रिटायर बेनिफिट सुरक्षित रखने के लिए ट्रांसफर पॉलिसी भी सार्वजनिक नहीं की जा रही है।