हड़ताल से शहर में पैदा हुए बिजली संकट के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया

समझौते के बावजूद कड़ी कार्रवाई से यूनियन के तेवर चढे

चंडीगढ़ । बिजलीकर्मियों की हड़ताल से शहर में पैदा हुए बिजली संकट के बाद प्रशासन ने अब सख्त रुख अपना लिया है। समझौते के बावजूद कड़ी कार्रवाई से यूनियन के तेवर चढ़ गए हैं। यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त ने कहा है कि रविवार को अगर एक भी कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया तो यूनियन सामूहिक गिरफ्तारी देगी।चंडीगढ़ में 17 अनुबंधित कर्मचारियों को नौकरी से निकालने और 143 कर्मचारियों पर एफआईआर के बाद पावरमैन यूनियन और प्रशासन के बीच सीधी टक्कर की स्थिति बन गई है। रविवार और सोमवार को कुछ जेई समेत करीब 24 कर्मचारियों को सेक्टर-3 के थाने में बुलाया गया ।यूनियन ने चेतावनी दी कि अगर एक भी कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया तो पूरी यूनियन सामूहिक गिरफ्तारी देगी।उन्होंने फिर दोहराया कि हड़ताल के दौरान बारिश, तेज हवाओं व ड्यूटी पर तैनात लोगों द्वारा गलत ऑपरेशन के कारण बिजली बाधित हुई थी। कहा कि हड़ताल पर होते हुए भी यूनियन ने कर्मचारियों से अपील की थी, जिसके बाद कई जगह तुरंत प्रभाव से बिजली सुचारु की गई, लेकिन प्रशासन कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के बजाय उनके खिलाफ दुर्भावना और द्वेषपूर्ण तौर पर कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा है और एफआईआर दर्ज करवा रहा है। ऐसा करके कर्मचारियों को डराया जा रहा है।यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रशासन को सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई बातचीत को जारी रखने की अपील की है। यूनियन ने कहा है कि दमनकारी कदम के तौर पर उठाए गए निलंबन, कारण बताओ नोटिस और एफआईआर तुरंत रद्द किए जाएं। बिजली कर्मचारी जरूरत के मुताबिक आधे से भी कम गिनती में होने के बावजूद 14-16 घंटे काम कर बिजली आपूर्ति कर रहे हैं। एक कर्मी 3-3 लोगों का काम कर रहा है। अब उनकी छुट्टी भी बंद की जा रही है। अगर बिजली कर्मचारी सरकार के नियमों के अनुसार काम करते हैं, तो प्रशासन के पास जितने कर्मचारी हैं, उतने कर्मचारी और रखने पड़ेंगे।

यूनियन ने कहा कि कर्मचारी 8 जनवरी से लगातार रैली व प्रदर्शन कर रहे थे। 11 जनवरी को रैली कर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया, उसके बाद 24 जनवरी तथा एक फरवरी को पुन: उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। सरकार द्वारा कोई संज्ञान न लेने पर चार फरवरी को फिर 22 फरवरी से 72 घंटे की हड़ताल का नोटिस दिया गया। इस दौरान प्रशासन ने इंतजाम करने की भी बात की। इसी बीच देश के 27 लाख बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की सर्वोच्च संस्था राष्ट्रीय तालमेल कमेटी बिजली कर्मचारी व अभियंता ने अपनी बैठक कर चंडीगढ़ के हालातों पर चर्चा की गई। इसके बाद हड़ताल की गई लेकिन प्रशासन बिजली आपूर्ति में नाकाम रहा। इसमें कर्मचारियों की कोई गलती नहीं। यूनियन ने चंडीगढ़ के प्रशासक को ज्ञापन देकर दमनात्मक कार्रवाई को रोकने की मांग की है। प्रशासन व नगर निगम से जुड़े विभिन्न विभागों के संयुक्त कर्मचारी मोर्चों की छह फेडरेशनों की शनिवार को एक आपात बैठक हुई। इसमें बिजली कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने पर किए गए समझौते के बावजूद कार्रवाई करने पर चर्चा की गई और प्रशासन के दोहरे व्यवहार की निंदा व आलोचना की गई। सभी यूनियनों द्वारा जल्द ही रोष मार्च व सामूहिक गिरफ्तारी की घोषणा भी की गई और प्रशासन से जल्द एक बैठक करने की मांग की गई। संयुक्त कर्मचारी मोर्चा ने बयान जारी किया कि इस कार्रवाई से चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कर्मचारियों में डर का माहौल व बेचैनी पैदा करने की कोशिश की जा रही है, ताकि भविष्य में कर्मचारी संगठनों पर अपनी मांगों के प्रति रोष प्रदर्शन करने पर रोक लगाई जा सके। बैठक में संयुक्त कर्मचारी मोर्चा की कैबिनेट में राजिंदर कुमार, सुखबीर सिंह, अश्विनी कुमार,बलविंदर सिंह, रघुबीर चंद, धर्मेन्द्र सिंह राही, रंजीत मिश्रा, राजेन्द्र कटोच, बिपिन शेर सिंह, हरकेश चंद, राजिंदर कुमार व गोपाल दत्त जोशी आदि उपस्थित रहे।प्रशासन ने गुरुवार को 17 अनुबंधित कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। इन पर हड़ताल पर जाने के अलावा बिजली व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ का आरोप है। अगले ही दिन शुक्रवार को जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 की बिजली आपूर्ति की निगरानी कर रहे दो जेई निलंबित कर दिए गए। इसके अलावा पावर यूनियन की हड़ताल के बाद बिजली आपूर्ति बहाल करने में सेना के अधिकारियों को सहयोग नहीं करने के आरोप में बिजली विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर (एससी) अनिल धमीजा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। वहीं, अब तक 143 कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर हुई है। इनके अलावा सीसीटीवी के माध्यम से उन कर्मचारियों की पहचान की जा रही है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने बिजली की लाइनों के साथ छेड़छाड़ की है।

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