चित्तौडग़ढ़ : चार घंटे में बरसा आठ इंच बरसात, मानों फट गए बादल

-नाले में फसी यात्रियों से भरी बस, 42 यात्री बचाए
– तालाब में डूबने से एक हजार भेड़ों की मौत

चित्तौडग़ढ़ । चित्तौडग़ढ़ शहर सहित कई क्षेत्रों में मंगलवार रात चार घंटे में ही करीब आठ इंच बरसात होने से बाढ़ के हालात पैदा हो गए। नदी-नालों में अचानक उफान आ गया।  चित्तौडग़ढ़ शहर में जहां यात्रियों से भरी ट्रावेल्स नाले के पानी में फंस गई तो चित्तौडग़ढ़ विधानसभा क्षेत्र के सतपुड़ा-गायरीखेड़ा में डूबने से करीब एक हजार भेड़ों की मौत हो गई। शहर में कई स्थानों पर वाहन सीवरेज के गड्डों में फस गए तो स्टेशन, प्रतापनगर आदि की दुकानों में भी पानी भर गया। वहीं मधुबन के कई घरों में पानी भर जाने से कई स्थानों पर दीवार तोड़ पानी निकाला गया। सबसे अधिक बरसात चित्तौडग़ढ़ जिला मुख्यालय पर 195 एमएम बरसात हुई।

शहर व आस-पास हुई बरसात के बाद नदी-नालों में पानी की भारी आवक हुई है। शहर में कपासन चौराहे के समीप रेलवे क्रासिंग पर बरसात के बाद बोदियाना नाले में जबरदस्त जल भराव हो गया और नाला उफान पर चलने लगा। ग्रामीण क्षेत्रों से एकत्र होकर आया पानी नाले में समाहित नहीं हो पाया और चित्तौड़-कपासन मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। इसी दौरान कपासन से शहर की ओर आ रही ट्रावेल्स बस नाले के बीचो बीच रेलवे क्रासिंग के नीचे फस गई। रात करीब 2.30 बजे से फसी बस की जानकारी किसी को नहीं हो पाई। बस मेें सवार 42 यात्रियों की जान अटकी रही। सुबह करीब 4.30 बजे प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस को इसकी जानकारी मिली तो यात्रियों के रेस्क्यू की तैयारी करते हुए सम्बंधित विभागों को सूचना की। जिला प्रशासन के पास रेस्क्यू की पर्याप्त संसाधन नहीं थे। इस पर हिन्दुस्थान जिंक के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई। इस पर जिंक के लोकेशन हेड पंकज कुमार शर्मा के निर्देशन में रेस्क्यू टीम में सेफ्टी हेड आदित्यसिंह, सुरक्षा अधिकारी दीपक सोलंकी व बलराम यादव के नेतृत्व में बोदियाना पुलिया के नीचे से बस में फसे 42 यात्रियों को रस्सी व सीढियों के सहारे बाहर निकाला। इस दौरान राजस्थान पुलिस के सदर थाने में तैनात पुष्पेन्द्रसिंह, चंदेरिया थाने के गजेन्द्रसिंह, मोहम्मद शरीफ व प्रभुलाल भी आगे रहे। वहीं बस को बाद में हाईड्रो क्रेन के सहायता से दो घंटे बाद बाहर निकाला जा सका। बरसात के बाद शहर में आधा दर्जन वाहर सीवरेज में धंस गए। देर रात बरसात के बाद शहर की गई कई निचली बस्तियों व मधुवन क्षेत्र में पानी भर गया। इसे निकालने के लिए कई जतन करने पड़े। मधुवन में तो भारी मात्रा में पानी की निकासी नहीं होने से जल भराव हो गया और मकानों में भी पानी जमा हो गया। जिसे दो-तीन घरों की दीवार तोड़ कर निकाला गया।
इधर, चित्तौडग़ढ़ पंचायत समिति के गाडरीखेड़ा में बरसों से सूखे पड़े तालाब में मारवाड़ से आए रेवड़ रुके हुए थे। यहां करीब चार हजार भेड़ें रुकी हुई थी। वहीं देर रात तालाब में पानी आने पर भेड़ पालक तो बाहर निकल गए लेकिन भेड़ें अंदर ही रह गई। तालाब में डूबने से एक हजार भेड़ों की मौत हो गई। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस एवं प्रशासन मौके पर पहुंचा व पानी में फंसी भेड़ों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ग्रामीणों के साथ ही निजी औद्योगिक संस्थाओं की मदद ली। प्रशासन के रेस्क्यू अभियान के दौरान ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिला। प्रशासन ने ग्रामीणों से बात किए बिना ही तालाब की पाल तोड़ दी, जिससे यह पानी संरक्षित होने के स्थान पर व्यर्थ बह गया। घटना की सूचना मिलने पर अतिरिक्त जिला कलक्टर मुकेश कुमार, उपखंड अधिकारी विनोद कुमार, विधायक चन्द्रभानसिंह सहित पशुपालन विभाग के अधिकारी और चिकित्सक मौके पर पहुंचे। 

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