टू-जी स्पेक्ट्रम: दिल्ली हाईकोर्ट में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और अन्य आरोपितों के खिलाफ सुनवाई टली

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपितों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर आज सुनवाई टाल दी है। कोर्ट इस मामले पर 5 नवम्बर को सुनवाई करेगा। पिछले 24 अक्टूबर को सीबीआई ने हाईकोर्ट में अपनी दलीलें शुरू की थीं। सीबीआई की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि टू-जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस बिना नीलामी के पहले आओ पहले पाओ के आधार पर की गई। संजय जैन की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद जस्टिस बृजेश सेठी की सिंगल बेंच ने आज तक के लिए सुनवाई टाल दी थी। पिछले जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई की अपील पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 24 अक्टूबर को ही सुनवाई होगी। पिछले 26 मार्च को सीबीआई और ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कोई भी कार्यवाही करने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक आरोपित पौधरोपण अभियान पूरा नहीं कर लेते तब तक वो आगे की कार्यवाही नहीं करेगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया था । पिछले 7 फरवरी को कोर्ट ने पांच आरोपितों को तीन-तीन हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया था। जस्टिस नाजिम वजीरी ने जिन आरोपितों को पेड़ लगाने का आदेश दिया था उनमें स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्राईवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजीव अग्रवाल के अलावा तीन कंपनियों डीबी रियल्टी, डायनामिक्स रियल्टी और निहार कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा था कि ये सभी पौधे देसी होंगे और उनका रखरखाव और देखभाल आगामी मानसून तक करना होगा। छह मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया था कि इस मामले के सभी आरोपितों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं। उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था । इस मामले में सीबीआई ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 2 अगस्त, 2018 को मामले की सुनवाई के दौरान एस्सार समूह के प्रमोटर्स रुईया बंधुओं ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी । 25 मई, 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था । दरअसल, पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसम्बर, 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।

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