नूंह : हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं मिला किसानों का मुआवजा

नूंह । तावडू में सेक्टर डिवेल्प करने के लिए अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा छह साल बाद भी नहीं मिलने के कारण किसानों में भारी रोष है। किसानों कहना है कि अधिग्रहण की गई जमीन का अवार्ड साल 2013 में किया गया था। 9 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट द्वारा भी किसानों को मुआवजा दो माह के दौरान देने के आदेश दिए गए थे, लेकिन सरकार व प्रशासन के समक्ष हाई कोई के आर्डर भी बौने साबित हो रहे हैं। वअपने मुआवजे के लिए किसान बार-बार प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। किसानों ने सीएम मनोहर लाल को पत्र लिख कर मांग की है कि उन्हें जमीन का मुआवजा तुरंत दिया जाए, अन्यथा वे सरकार के खिलाफ आदेश की अवेहलना की याचिका दायर करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। तावडू निवासी अनिल कुमार, किशन कुमार,  धर्मपाल, राजेंद्र, विजयपाल, ओमप्रकाश, सुनीता, भीम सिंह, जिले सिंह, होशियार सिंह, भगवान सिंह, महाबीर सिंह, राजपाल तथा सुशीला आदि ने मंगलवार को सीएम के नाम लिखे लेटर में कहा कि साल 2013 में तावडू के सेक्टर 7, 8, 11 विकसित करने के लिए हुडा विभाग द्वारा जमीन एक्वायर की गई थी। 22 अक्तूबर 2013 को इस जमीन का अवार्ड भी हो चुका था। मार्कीट रेट से मुआवजा कम लगा तो किसान मामले को लेकर लैंड एक्विजिशन कलैक्टर (एलएसी) की कोर्ट में चले गए। एलएसी कोर्ट को संभाल रहे तत्कालीन एडीजे विमल सपरा ने 6 जनवरी 2017 को किसानों के हक में आदेश करते हुए मुआवजा बढ़ा कर 92 लाख 62 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने के आदेश किए। आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट गए हुडा विभाग को वहां से भी कोई खास राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट ने 1 मार्च 2018 को आदेश करते हुए हुडा विभाग को 25 प्रतिशत काट कर किसानों को लीज पर 75 लाख रुपये प्रति एकड देने के आदेश दिए, लेकिन फिर भी हुडा विभाग ने किसानों को पैसा देने के बारे में नहीं सोचा। मजबूरी में किसानों को फिर से हाई कोर्ट का रुख करना पड़ा। हाई कोर्ट ने 9 जनवरी 2019 को आदेश देते हुए कहा कि हुडा विभाग दो माह के दौरान किसानों को मुआवजा राशि वितरित कर दे। मगर हुडा विभाग के लिए हाई कोर्ट के आदेश कोई मायने नहीं रखते हैं। 

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