भारत में ही क्यों देवताओं का प्राकट्य होता है

आचार्य गणेशानंद मिश्रा ने कारण “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता”बताया

चंडीगढ़। श्री दुर्गा माता मंदिर सेक्टर 7 पंचकूला, मैं चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के षष्टम दिवस पर आचार्य गणेशानंद मिश्रा जी ने बताया के बहुत से लोग पूछते हैं कि भारत में ही क्यों देवताओं का प्राकट्य होता है इसके पीछे का कारण “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” वाला भारतीय संस्कृति का विचार ही देवताओं को भारत की भूमि पर प्रकट होने के लिए विवश करता है। संपूर्ण विश्व में केवल भारत में ही नारियों के प्रति देवी रूप की मान्यता रखी गई है शास्त्र का मत है जहां नारियों का सम्मान होता है वही देवताओं का वास होता है। श्रीमद् देवी भागवत में महिषासुर शुंभ निशुंभ चंड मुंड धूम्रलोचन आदि दैत्य और दानवों की कथा आती है। जिन्होंने नारी को अबला माना और उन्हें लगा नारी निर्बल है इसलिए ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि कोई हमें नहीं मार सके, केवल नारी ही हमार वध कर सके। इस कथा से सिद्ध हुआ के यह जरूरी नहीं कि राक्षसों- दानवों के बड़े-बड़े नाखून, दांत, या सिंग लगे हों! बल्कि जो नारी का सम्मान नहीं कर रहा, अपने धर्म का सम्मान नहीं कर रहा वही दानव है। ऐसे राक्षसों दैत्यों के संघार के के लिए प्रकृति ही दुर्गा, काली और चंडी बन कर ऐसे विचारों का नाश करती है।

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