विधान सभा में कर्तव्यबोध के रूप में मना संविधान दिवस
विधायकों और अधिकारियों ने राष्ट्रपति के साथ किया प्रस्तावना वाचन
विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता बोले – जनता और जनप्रतिनिधियों के दायित्वबोध में सार्थक होगा संविधान दिवस
चंडीगढ़ । हरियाणा विधान सभा में शुक्रवार को संविधान दिवस जनप्रतियों के लिए कर्तव्यबोध का स्मरण और संसदीय मर्यादाओं के प्रति आस्था के प्रकटीकरण के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने विधायकों और अधिकारियों के साथ ऑनलाइन माध्यम से नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उपस्थित राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के विचार सुने। इस दौरान विधायकों और विधान सभा के अधिकारियों ने राष्ट्रपति के साथ संविधान की प्रस्तावना का वाचन भी किया।
इस मौके पर विधायकों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि आज पूरा राष्ट्र श्रद्धाभाव से संविधान दिवस मना रहा हैं। वर्ष 1949 में इसी दिन हमारे देश की संविधान सभा ने विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान के निर्माण का कार्य पूरा किया। इसी दिन समस्त देशवासियों का प्रतिनिधित्व कर रही संविधान सभा के तौर पर भारत के लोगों ने इसे अंगीकृत एवं आत्मसमर्पित किया। इसके ठीक 2 माह बाद यह संविधान लागू हुआ, जिसके तहत कार्य करते हुए महान भारत निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रहा है। आज भारत ने जो मुकाम हासिल किया है, उससे अगर सबसे बड़ी भूमिका की बात की जाए तो निश्चित रूप से इसका श्रेय संविधान को जाएगा।
यह संविधान सिर्फ आकार में विश्व का सबसे बड़ा संविधान नहीं है अपितु इसकी व्यावहारिकता, इसकी ग्राह्यता और दूरगामी दृष्टि इसे विश्व का सबसे आदर्श संविधान भी बनाती है। इसका प्रमुख कारण यह रहा कि हमारे संविधान निर्माता जहां कानून के श्रेष्ठतम जानकार थे वहीं वे आधुनिक भारत की जरूरतों और इसके शाश्वत मूल्यों की बारीकियों को समझते थे। इसमें जहां नए भारत का स्पष्ट विजन स्पष्टता से रेखांकित किया गया, वहीं वैश्विक समाज में हमारी भूमिका भी प्रभावी बनी है।
ज्ञान चंद गुप्ता ने विधायकों से आह्वान करते हुए कहा कि संविधान ने जनप्रतिनिधियों को वेतन-भत्तों के साथ-साथ समाज में सम्मानजनक स्थान दिया है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से अनेक प्रकार से लाभान्वित किया गया है, इसलिए उनकी जिम्मेदारी कहीं अधिक हो जाती है। उन्होंने कहा कि जनता और जनप्रतिनिधियों की सचेत भूमिका ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का समुन्नित बनाएगी। जनप्रनिधियों को जहां अपने निर्वाचन क्षेत्र के हितों के लिए सतत आग्रह रखना होगा, वहीं उन्हें देश-प्रदेश के समग्र विकास की दिशा में भी अपना चिंतन स्पष्ट रखना होगा। हम भले ही किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुन कर आए, लेकिन जब बात विकास की होगी तो पूरे देश के हितों को केंद्र में रखना होगा।
जनता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अपने बीच से ऐसे लोगों को ही चुनकर भेजे, जो संकीर्ण गलियारों से निकलकर उसके हितों के संरक्षण में पर्याप्त रूप से सक्षम हो।