विपक्ष ने एक बार फिर किया वॉकआउट, सरकार पर लगाया हिमाचल को बेचने का आरोप
धर्मशाला । तपोवन में चल रहे शीत सत्र के पांचवें दिन विपक्ष ने सत्तापक्ष पर हिमाचल को बेचने का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष ने सरकार द्वारा सदन में लाए गए हिमाचल प्रदेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (स्थापना और प्रचालन का सरलीकरण) बिल 2019 का कड़ा विरोध किया है तथा बाद में इस बिल के विरोध में वॉकआउट कर दिया। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने इस बिल के विरोध में कहा कि सरकार की मन्शा हिमाचल को बेचने की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल को एक बार फिर ‘हिमाचल इज ऑन सेल’ के रास्ते पर डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार को ऐसा कतई नही करने देगी और इसका सदन और सदन के बाहर भी कड़ा विरोध किया जाएगा। वहीं सदन के बाहर मीडिया से बातचीत में अग्निहोत्री ने कहा कि इस बिल के जरिए कोई भी उद्योगपति किसी भी कानून के लिए बाध्य नही होगा तथा वह कहीं भी भवन निर्माण कर सकेगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस बिल को पारित करती है तो हिमाचल के इतिहास में यह काला अध्याय होगा। अग्निहोत्री ने कहा कि इससे पहले भी पूर्व भाजपा सरकार ने हिमाचल को बेचने का काम किया था तथा अब जय राम सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है। उन्होंने इस बिल को पूंजीपतियों की मदद वाला बिल करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बिल को लाकर बाहरी उद्योगपतियों के लिए लूट का रास्ता खोल दिया है। तीन साल तक किसी भी पूंजीपति को टीसीपी, रोड साइ एक्ट और फायर कानून की अनुमति लेने की जरूरत नही होगी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस बिल में हम इस पाप का हकदार नही हो सकते हैं। बिल हिमाचल को बेचने का सस्ता और सुलभ रास्ता है। विपक्ष के साथ माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी इस बिल का विरोध कर कांग्रेस के साथ वॉकआउट किया। उन्होंने कहा कि यह जल्दबाजी में लाया गया कानून है। इससे पूर्व भी साल 2000 में भी ऐसा ही कानून लाकर एक लाख 63 हजार लोगों ने जमीनों के लिए आवेदन किया था जो आज भी बेघर हैं। उधर इससे पूर्व प्रश्नकाल शुरू होते ही नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में सरकार के उस फैसले पर आपत्ति दर्ज की जिसमें बीते दिन हुई कैबिनेट की बैठक में हरियाणा के कंडली में हिमाचल सरकार की जमीन को बेचने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार जमीन खरीद तो नही सकती लेकिन जो पहले खरीदी गई हैं उन्हें भी बेचने का काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हिमाचल को बेचने का काम कर रही है। उधर नेता विपक्ष के बयान पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सदन को जानकारी दी कि हरियाणा के कुंडली में खरीदी गई जमीन एचएमपीसी की थी जिसे बाद में जीएडी को बेच दिया गया। वर्षों पहले खरीदी गई इस जमीन का कोई इस्तेमाल नही हो रहा था। जिस मकसद से यह जमीन खरीदी गई थी वह पूरा नही हो पाया। उन्होंने कहा कि वहां पर साथ लगते जमीन मालिक इसमें अतिक्रमण कर रहे हैं। उसकी चारदिवारी को तोड़ा जा रहा है। दो मामले कोर्ट में चल रहे हैं। सरकार को अब तक इसके रखरखाव और केस लड़ने की एवज में 65.63 लाख खर्च करना पड़ा है। इसके अलावा चारदीवारी बनाने पर भी 2.40 लाख अलग से खर्च करना पड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने जमीन को बेेचने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष बिना तथ्यों को जाने सरकार पर हिमाचल को बेचने के आरोप लगा रही है जो गलत है।