अवैध ड्रग्स की फैक्ट्री ध्वस्त, भारी मात्रा में ब्राउन शुगर व अफीम बरामद

थौबल (मणिपुर) । मणिपुर में लगातार ड्रग्स बरामदगी का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को असम राइफल्स और पुलिस की संयुक्त टीम ने मणिपुर के थौबल जिला के दूर-दराज इलाके में एक अभियान चलाते हुए अवैध रूप से ड्रग्स बनाने वाली एक फैक्ट्री को ध्वस्त कर दिया। इस अभियान के दौरान 49 किग्रा ब्राउन शुगर, आठ किग्रा अफीम के साथ ही ड्रग्स बनाने में व्यवहार किए जाने वाले कई उपकरण एवं रासायनिक पदार्थ बरामद किए गए हैं। हालांकि मौके से किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। सुरक्षा बलों के मौके पर पहुंचने से पहले ही अवैध कारोबारी फरार हो गए।

लगातार मणिपुर से ड्रग्स बरामदगी का सिलसिला जारी है। बीते छह फरवरी को भी भारी मात्रा में ड्रग्स मणिपुर से उस समय बरामद किया गया था जब गुप्त सूचना के आधार पर असम राइफल्स तथा मणिपुर पुलिस की एक टीम द्वारा थौबल के पुलिस अधीक्षक डॉ इबोमचा के नेतृत्व में शाम के तकरीबन आठ बजे अभियान चला गया था। यह अभियान थौबल के वांगजिंग बाजार इलाके में इंफाल-मोरे राजमार्ग पर चलाया गया था।

इस अभियान के दौरान एक स्विफ्ट डिजायर कार (एमएन-01एजी-2307) से नशीले डब्लूवाई टेबलेट के 23 पैकेट बरामद हुए थे। इस सिलसिले में येंखोम विक्रम सिंह (35) को गिरफ्तार भी किया गया था। जबकि 19 जनवरी को भी असम राइफल्स के जवानों द्वारा भारी मात्रा में नशीला डब्लूवाई टैबलेट बरामद किया गया था। इससे पहले एक बार 27 करोड़ रुपए की ड्रग्स तथा एक बार 25 करोड़ रुपये कीमत के नशीले टैबलेट्स ‘वर्ल्ड इज योर्स’ (डब्लूवाई) बरामद किया गया था।

बीते वर्ष ड्रग्स कारोबारियों के विरुद्ध मणिपुर में व्यापक अभियान चलाया गया था, जिसमें 68 महिलाओं समेत 386 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस तरह देखा जाए तो मणिपुर ड्रग्स की घाटी बनी हुई है।

असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस के लगातार कोशिशों के बावजूद ड्रग्स के कारोबार पर अंकुश नहीं लग रहा है। इसकी मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि पड़ोसी देश म्यांमार की सीमा स्थापित ड्रग्स की फैक्ट्रियों से तैयार ड्रग्स मणिपुर में सप्लाई की जाती है। रात के अंधेरे में गुप्त रास्तों से तस्कर ड्रग्स लेकर यहां पहुंच जाते हैं। म्यांमार से तस्कर किसी तरह ड्रग्स को मोरे बाजार तक पहुंचा देते हैं। मोरे बाजार से यह भारत के विभिन्न राज्यों व पड़ोसी देशों तक नगालैंड अरुणाचल प्रदेश के रास्ते पहुंचता है। वहीं मणिपुर के दूरदराज के इलाकों में इस प्रकार की ड्रग्स तैयार करने की फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चलाई जाती हैं। इन इलाकों तक सुरक्षा बलों का पहुंचना काफी मुश्किल होता है। यही वजह है कि लाख कोशिशों के बावजूद ड्रग्स के कारोबार को रोका नहीं जा पा रहा है।

इस कारोबार में अंतरराष्ट्रीय स्तर के तस्कर शामिल हैं, जिनकी पहुंच भारत के राज्यों के साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में भी है। ड्रग्स के साथ तस्कर गिरफ्तार तो अवश्य होते हैं लेकिन बाद में उनके खिलाफ सख्ती नहीं बरती जाती है। इस पूरे कारोबार को लेकर विशेष रूप से जांच किए जाने की आवश्यकता है अन्यथा पूर्वोत्तर के चप्पे-चप्पे पर फल फूल रहा ड्रग्स का कारोबार नई पीढ़ी के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है।

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