गंगा के तटीय इलाके में तेजी से फैल रहा है कैंसर, जागरुकता ही बचाव: डॉ. रतन

बेगूसराय । कैंसर के बढ़ते ख़तरों को लेकर जागरुकता के क्षेत्र में काम कर रही संस्था ने दावा किया है कि गंगा के तटीय इलाके में कैंसर तेजी के साथ फैल रहा है। ऐसे ही इलाके में शुमार बेगूसराय में भी कैंसर मरीजों की बड़ी संख्या चिंता का सबब है।
कैंसर अवेयरनेस सोसायटी बेगूसराय के सचिव डॉ. रतन प्रसाद ने बताया कि गंगा नदी के तटीय इलाकों में पानी में आर्सेनिक, लेड एवं कैडमियम जैसे भारी तत्वों की अधिक मात्रा का होना, भोजन में मिलावटी सरसों के तेल के बढ़ते इस्तेमाल, खेतों में मिलावटी रासायनिक खादों का अधिक प्रयोग, पर्यावरण प्रदूषण, बिना बायोट्रीटमेंट किये औद्योगिक संस्थानों के उत्सर्जित जल का गंगा नदी में प्रवाह, इस इलाके के लोगों में पित्त की थैली, लिवर कैंसर को बढ़ा रहा है। इसके साथ ही दूध को फटने से बचाने तथा बाहर से लाये गए मछलियों को सड़ने-दुर्गन्ध से बचाने के लिए फॉर्मेलिन का इस्तेमाल कैंसर को जन्म देता है। उन्होंने बताया कि पित्त की थैली के पत्थर से पीड़ित मरीजों में 0.3 प्रतिशत से 3 प्रतिशत में पित्त की थैली का कैंसर मिलता है। ख़तरनाक तथ्य यह है कि इस कैंसर के 70 प्रतिशत मामले का अंतिम अवस्था में पता चलता है। जिससे तकरीबन 90 प्रतिशत मरीजों की मौत, रोग का पता चलने के एक वर्ष के भीतर हो जाती है। ट्यूमर मार्कर 80 प्रतिशत मरीजों में बढ़ा हुआ मिलता है।
डॉ. रतन प्रसाद ने बताया कि विश्व में महिलाओं में स्तन कैंसर के लगभग 15 लाख मरीजों की पहचान प्रतिवर्ष होती है। जिसमें से करीब पांच लाख सत्तर हजार मरीजों की मौत प्रतिवर्ष हो जाती है। उन्होंने बताया कि कम-से-कम एक वर्ष तक महिलायें नवजात को स्तनपान कराएं तो स्तन कैंसर से कुछ हद तक बच सकती हैं। जागरुकता और बेहतर स्क्रीनिंग के कारण पश्चिमी देशों में स्तन कैंसर का सर्वाइवल रेट 90 प्रतिशत है, जबकि भारत में 66 प्रतिशत है। स्तन कैंसर के लगभग एक फीसदी मामले पुरुषों में भी पाए जाते हैं। 
प्रसाद ने बताया कि कैंसर के संकेतों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। शरीर के किसी भी भाग में कोई गांठ, गोला, कोई भी घाव बहुत दिन का हो, महिलाओं को अत्यधिक अनियमित रक्तश्राव, बदबूदार श्राव, स्तन में गांठ, जीवन जीने की शैली में सुधार, खानपान में बदलाव और सकारात्मक सोच से लेकर कैंसर पर हद तक काबू पाया जा सकता है। कैंसर के सबसे अधिक मरीज ग्रामीण क्षेत्रों में है और महिलाएं अधिक शिकार हो रही है। 
उन्होंने बताया कि भारत में वर्तमान में करीब 30 लाख कैंसर के मरीज हैं। प्रत्येक साल लगभग 10 से 11 लाख कैंसर के नए मरीज सामने आ रहे हैं। जिसमें पांच से छह लाख की मौत हो जाती है। विश्व का 25 फीसदी सर्विकल कैंसर का मरीज भारत में है। पश्चिमी सभ्यता को अपनाने, अधिक उम्र में शादी, नवजात को स्तनपान नहीं कराने, फास्ट फूड, चर्बीदार भोजन, शारीरिक परिश्रम में कमी और मोटापा के कारण भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार कैंसर के 33 प्रतिशत मरीज इलाज, 33 प्रतिशत खानपान और 33 प्रतिशत सकारात्मक सोच तथा सकारात्मक वातावरण से ठीक हो सकते हैं। पुरुषों को लिंग कैंसर से बचने के लिए समुचित सफाई करनी चाहिए। पुरुषों के लिंग की चमड़ी के नीचे जमा होनेवाला स्मेग्मा कैंसर जनक तत्व है। शुरुआती अवस्था में कैंसर रोगों की पहचान एवं समुचित इलाज से मरीज ठीक हो सकता है। लेकिन 70 से 80 प्रतिशत मरीज रोगों की अंतिम अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं।

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