गुजरात में लड़कियों के कपड़े उतरवाने के मामले में मंदिर के महंत और कॉलेज ट्रस्टी अलग

अहमदाबाद/भुज । गुजरात में लड़कियों के कपड़े उतरवाकर माहवारी चेक करने के मामले से लोग कांप उठे हैं। तमाम लोगों ने इस घटना को शर्मनाक और क्रूर बताया है। राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने इस बीच मामले को गंभीरता से लेते हुए भुज का दौरा किया है। ऐसे में मंदिर के महंत और कॉलेज ट्रस्टी ने इस मामले पर अपनी-अपनी अलग राय दी है। भुज स्वामीनारायण के संत कृष्ण स्वामी ने कहा है कि यदि एक महिला मासिक धर्म चक्र में है और वह पति को अपने हाथों से खाना खिलाती है, तो दूसरे जन्म में वह महिला कुत्ता बन जाती है। उसका पति भी दूसरे जन्म में बैल बन जाता है। यह शास्त्र का मामला है। खाना बनाना सीखें या नरक जाने के लिए तैयार रहें। उधर संस्थान के उपाध्यक्ष और सेवक व्याख्याता प्रवीणभाई पिंडोरिया ने कहा है कि बेटियों को संस्था के नियमों और विनियमों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। संस्था उन पर कोई दबाव नहीं बनाएगी। लड़कियां स्वेच्छा से धार्मिक रीति-रिवाज का पालन कर सकती हैं।

कॉलेज प्रशासन ने संस्था की मासिक धर्म संबंधी नीतियों में बदलाव की लिखित सूचना जारी की है। इससे पहले 11 फरवरी की इस घटना को लेकर शोसल मीडिया पर खूब बहस हुई। आखिरकार सोमवार को पुलिस ने प्रिंसिपल सहित चार महिला आरोपितों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया। सक्षम अदालत ने इन आरोपितों को दो दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया है।
उल्लेखनीय है कि कच्छ यूनिवर्सिटी में इस मामले की जानकारी होते ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी। जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। राज्य महिला आयोग की टीम ने भी दौरा कर मामले की तहकीकात की है। आयोग की सदस्य डॉ. राजुल देसाई ने घटना होने की पुष्टि की। उसके बाद भुज स्वामीनारायण मंदिर संचालित सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट के ट्रस्टियों ने एक बैठक की और वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी परम्परा में बदलाव करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। अब तय हुआ है कि छात्राएं खुद निर्णय ले सकती हैं कि वे धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करें या न करें।

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