तेज धूप में तपती ट्रॉलियों पर मरीजों की निकल जाती है चीखें

कोटा । संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल में तेज धूप में तपती ट्रॉलियों पर मरीजों की अस्पताल के वार्ड में ले जाने से पहले ही चीखें निकल जाती है। अस्पताल में कर्मचारियों की लापरवाही के चलते ट्रॉलियों को तेज धूप में ही पटक दिया जाता है। 
आपातकालीन स्थिति में गम्भीर बीमारी, एक्सीडेंट आदि में अस्पताल में आने वाले मरीजों को डॉक्टर के पास से लेकर वार्ड में शिफ्ट करने तक इन ट्रॉलियों का उपयोग किया जाता है। अस्पताल के अंदर ले जाने के लिए तेज धूप में तपती लोहे की ट्रॉली पर मरीज को लेटाया जाता है। दर्द में कहराने मरीज की गर्म झुलसती लोहे की ट्रॉली पर लेटने पर जान सी निकल जाती है। ऐसे में पता भी नहीं चलता कि मरीज दर्द से तड़प रहा है या ट्रॉली पर झुलसने से। कई बार तो ट्रॉली को लाने ले जाने के लिए मौके पर कर्मचारी तक मौजूद नहीं रहते, जिससे परिजनों को खुद ट्रॉली को खींच कर ले जाना पड़ता है। स्थिति उस समय और भी गंभीर बन जाती है जब अज्ञात व्यक्ति को एक्सीडेंट या लावारिस हालात में 108 एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल में लाया जाता है। ऐसी हालत में कर्मचारियो के मौके पर मौजूद नहीं होने पर मरीज तपती ट्रॉली पर तड़पने को मजबूर होना पड़ता है। मरीजों को सुविधा उपलब्ध करने के लिए तपती लोहे की ट्रॉली पर गद्दी की व्यवस्था तक नहीं है। इसके साथ ही कई ट्रॉलियां व व्हीलचेयर की हालत कबाड़ बनी हुई है। 
वार्डों में कर्मचारियों की दादागिरी: एमबीएस अस्पताल के विभिन वार्डों में मरीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जांच करवाने, ऑपरेशन थियेटर लाने ले जाने आदि के लिए ट्रॉलियों की व्यवस्था है, लेकिन वार्ड कर्मचारी अस्पताल में भर्ती मरीजों को लाने लेजाने के लिए ट्रॉलियां देने में भी तिमारदारों को आंखे दिखाते हैं, जिससे मरीज के तिमारदारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकने को मजबूर होना पड़ता है। 
इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक नवीन सक्सेना ने मामले के गंभीर मानते हुए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर कार्यवाही की बात कही है।

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