प्रियंका की चुनावी चाल में उलझे माया-अखिलेश के सियासी दांव

भदोही । यूपी में मौसम की तपिश के साथ सियासी पारा भी अपना रंग रूप बदल रहा है। राजनीति ने ‘झापड़’ से ‘झप्पी’ तक का सफर तय कर लिया है। यूपी में दोस्ती दुश्मनी में बदलती दिखने लगी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की चुनावी चाल में गठबंधन के महाधुंरधर पूर्व सीएम मायावती और अखिलेश उलझते हुए दिखते हैं। पूर्वांचल और दूसरे जगहों की तकरीबन 12 सीटों पर कांग्रेस ने ऐसे दमदार उम्मीदवार उतारे हैं जो सपा-बसपा के लिए मुसीबत तो भाजपा के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। भदोही में भी यही स्थिति है। यही वजह है कि मायावती और अखिलेश चुनावी सभाओं में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस को निशाने पर रखकर आग उगल रहे हैं।

पूर्वांचल की भदोही सीट पर गठबंधन की सियासत उलझ गयी है। यहां कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्वांचल के बाहुबली नेता रमाकांत यादव ‘वोट कटवा’ की भूमिका निभा रहे हैं। भदोही, चंदौली और राज्य की कई सीटों पर यह स्थिति है। इससे प्रियंका गांधी की वह बात सच साबित होती दिख रही है कि हमने भाजपा को पराजित करने के लिए मजबूत ‘वोट कटवा’ उम्मीदवार उतारे हैं। उन्होंने यह बात भाजपा के लिए भले कही हो लेकिन नुकसान उनके सियासी दोस्तों का हो रहा है जिसकी वजह से दोस्ती दुश्मनी में बदलती दिखती है। कांग्रेस उम्मीदवार सबसे अधिक बसपा का नुकसान करते दिखते हैं। 

भदोही में कांग्रेस उम्मीदवार रमाकांत यादव बसपा उम्मीदवार रंगनाथ मिश्र के लिए समस्या बन गए हैं क्योंकि उनके निशाने पर सीधे दलित, मुस्लिम और यादव (डीएमवाई) हैं। वह यादव बिरादरी में सेंधमारी का चक्रव्यूह रच रहे है जिसकी वजह गठबंधन घबरा गया है। रमाकांत यादव आजमगढ़ से चार बार सांसद और विधायक रह चुके हैं। इस बार भाजपा से टिकट न मिलने पर वह कांग्रेस के टिकट पर भदोही से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां उन्होंने यादव बिरादरी को लामबंद करने के लिए खुद को अखिलेश यादव का समर्थक बताया। उन्होंने कहा कि हम आजमगढ़ में अखिलेश यादव को जीत दिलाने के लिए मदद कर रहे हैं। अगर कांग्रेस ने यादव और मुस्लिम मतों में सेंध लगा ली तो भाजपा के लिए फायदा होने के साथ ही ‘हाथी’ को दिक्कत आ सकती है। 

यही वजह है कि 07 मई को भदोही में आयोजित सभा में मायावती के साथ अखिलेश यादव को संयुक्त रैली के लिए आना पड़ा। यह बात मंच से खुद मायावती ने कहा कि हम भ्रम दूर करने के लिए अखिलेश को साथ लाएं हैं। कांग्रेस उम्मीदवार रमाकांत यादव से सजग रहने की बात मायावती और अखिलेश को कहनी पड़ी। चुनावी सभा के बाद इन दोनों नेताओं की यह बात चर्चा का विषय बनी है।

मायावती ने कहा कि कांग्रेस का उम्मीदवार आजमगढ़ से आकर भ्रम फैलाकर कह रहा है कि हम अखिलेश यादव के शुभ चिंतक हैं, अगर वह इतना फ्रिकंमद है तो उनके सम्मान में दूसरी पार्टी से चुनाव ही क्यों लड़ा? मायावती ने कहा कि आप लोग इस व्यक्ति से सावधान रहें। यह गठबंधन को फेल करने की कांग्रेसी साजिश है। हम इसीलिए अखिलेश को साथ लाये हैं जिससे स्थिति साफ हो जाए। मायावती के बाद सभा को संबोधित करने उठे अखिलेश यादव ने भी रमाकांत यादव पर हमला बोला। उन्होंने भीड़ से कहा कि हमें आजमगढ़ की जनता बेहद सम्मान दे रही है। वहां हमें बसपा के लोग चुनाव जिताएंगे और लोग इनके बहकावे में मत आएं। 

कांग्रेस उम्मीदवार रमाकांत पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर आजमगढ़ वाले को हमारी इतनी चिंता थी तो नेता जी यानी मुलायम सिंह के सामने वह चुनाव क्यों लड़े थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के लोगों से खुले मंच से कहा कि आप लोग बसपा उम्मीदवार रंगनाथ मिश्र को वोट करें, किसी के बहकावे में मत आएं। प्रियंका गांधी के इस सियासी प्लान में गठबंधन पूरी तरह उलझ गया है क्योंकि भदोही या पूरे यूपी में कांग्रेस के खाते में जो वोट आएंगे, वह सपा-बसपा का नुकसान करेंगे। अगर गठबंधन में कांग्रेस को शामिल कर लिया गया होता तो यह नुकसान नहीं उठाना पड़ता बल्कि स्थिति और मजबूत होती। यूपी में कांग्रेस को किनारे रखकर सपा-बसपा क्या संदेश देना चाहती है। क्या बगैर कांग्रेस के वह दिल्ली तक का सफर तय कर सकते हैं। फिलहाल अंदर की बातें चाहे जो भी हो, लेकिन कांग्रेस की इस सियासी चाल में गठबंधन उलझ गया है।

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