सिद्धू को मंत्रिमंडल से बाहर करने के लिए कैप्टन सरकार में लामबंदी तेज

चंडीगढ़ । लोक सभा चुनावों के परिणामों से पूर्व ही पंजाब की कांग्रेस सरकार में टकराव तेज हो गया है। नवजोत सिद्धू को मंत्रिमंडल से बाहर करने के मुद्दे को लेकर सूबे की कांग्रेस सरकार में लामबंदी तेज हो गई है।  

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और मंत्री ब्रह्म महिंद्रा और अब कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने भी कह दिया है कि अगर सिद्धू मुख्यमंत्री का नेतृत्व नहीं स्वीकार करते तो मंत्रिमंडल से बाहर हो जायें। पंजाब की एक कड़वी कहावत का उल्लेख करते हुए मंत्री धर्मसोत ने कहा कि कांग्रेस ने पहले ही सिद्धू को जरूरत से ज्यादा दे दिया है। उन्होंने कहा कि पता नहीं दर -दर पार्टियां बदलने वाले सिद्धू अब किस पार्टी में जायेंगे ?

मंत्री भारत भूषण आशु ने भी कहा है कि पार्टी का अनुशासन तो मानना ही पड़ेगा।  सिद्धू को मंत्रिमंडल से बाहर करने के लिए कैप्टन सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। 23 मई को चुनाव परिणाम के बाद सिद्धू की विदाई का अभियान शुरू करने के संकेत हैं। 

हालांकि राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने सिद्धू का समर्थन किया है। अपना बीच बचाव करते हुए वित्त मंत्री ने सिद्धू के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप मीडिया पर जड़ दिया है जबकि सिद्धू की पत्नी अभी भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्य मंत्री का पद छोड़ने की सलाह दे रही हैं। करीब एक दर्ज़न विधायक सिद्धू का समर्थन कर रहे है। विपक्षी आम आदमी पार्टी ने सिद्धू की मांग का समर्थन किया है जबकि भाजपा के नेता और राज्य सभा सदस्य तरुण चुघ ने कहा है कि सिद्धू का दोष नहीं है।  

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बठिंडा में नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस के प्रत्याशी की चुनाव सभा में मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर विपक्षी अकाली दल के साथ दोस्ताना मैच के बयान दाग कर पंजाब कांग्रेस में सुलग रही गुटबंदी को हवा दे दी है। 19 मई को पटियाला में मतदान के बाद मुख्यमंत्री ने ये बयान दे कर इस विवाद को हवा दे दी कि सिद्धू की आँख मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और बाद में वरिष्ठ मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने सिद्धू की इस प्रयास के लिए निंदा की। 

आज कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि सिद्धू दंपति की ये आदत है कि वे कहीं भी नहीं टिक सकते।  सिद्धू भाजपा में भी नहीं ठहरे और कभी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को बाप कहने वाले सिद्धू ने मोदी को भी नहीं छोड़ा। सिद्धू को अपनी औकात में रहने की सलाह देते हुए मंत्री धर्मसोत ने कहा कि सिद्धू दंपति खुद को सुप्रीम समझने का भ्रम त्याग दें। उन्होंने कहा कि सिद्धू के बयानों से कांग्रेस को नुकसान हुआ है और वे पार्टी हाई कमान से सिद्धू के विरुद्ध करवाई की मांग करते है। 

इधर, सिद्धू भी 23 मई को आने वाले चुनाव परिणामों पर नज़र रखे हुए है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक सिद्धू को पंजाब के चुनाव प्रचार में किनारे इसीलिए रखा गया, क्योंकि मुख्यमंत्री ने मिशन -13 के तहत राज्य की तमाम 13 सीटें जीतने का दावा किया था। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा था कि अगर कांग्रेस को अपने मिशन में सफलता नहीं मिलती तो वे मुख्यमंत्री पद से त्याग-पत्र दे देंगे। सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर के अनुसार अगर पंजाब में कांग्रेस सभी सीटें ही जीत रही है तो सिद्धू वहां प्रचार करने क्यों जाएं?

सिद्धू के करीबी सूत्र बताते है कि अगर पंजाब में मिशन 13 सफल नहीं होता तो मुख्यमंत्री को पद से हटाने के लिए सिद्धू के साथ अनेक विधायक तैयार खड़े है। मुख्यमंत्री ने एक हिदायत जारी करके कांग्रेस के उम्मीदवार की हार -जीत के लिए सम्बंधित क्षेत्र के मंत्री और विधायक की जिम्मेवारी तय की थी। कांग्रेस में वर्तमान हालात संकेत दे रहे हैं कि दिन -ब -दिन ये टकराव तेज होगा। 

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