हार्ट बाईपास सर्जरी की एडवांस टेक्नीक अल्केमिस्ट में उपलब्ध

जगदीप (हिंद जनपथ)पंचकूला: हार्ट बाईपास सर्जरी की एडवांस तकनीक लीमा-रीमा-वाई टेक्नीक तकनीक अब अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में उपलब्ध है। इस टेक्नीक में वीनेस ग्राफ्ट की बजाए आर्टियल ग्राफ्ट का उपयोग किया जाता है। डॉ.शशि जिंदल, सीनियर कंसल्टेंट एवं हैड, डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियो थोरेसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी, अल्केमिस्ट ने कहा कि बाईपास सर्जरी की एक पारंपरिक तकनीक में हम खून को रीरूट करने के लिए टांग की नसों का उपयोग करते हैं। हालांकि, इन वीनेस कॉन्ड्यूट्स की अवधि अधिक नहीं होती है जिसके चलते उन्हें 8 या 10 सालों के बाद फिर से बाईपास की आवश्यकता पड़ती है।  डॉ.अरविंद कौल, सीनियर कंसल्टेंट एवं हैड, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी ने कहा लीमा-रीमा-वाई बाईपास सर्जरी में हम वीनेस ग्राफ्ट की बजाए आर्टियल ग्राफ्ट का उपयोग करते हैं, जो कि 18-20 सालों तक अपनी उपयोगिता बनाए रखती हैं। डॉ.जिंदल ने कहा कि इस तकनीक में हाथ और पैर पर किसी तरह का कट लगाने की भी जरूरत नहीं है। 

डॉ. रोहित परती, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी ने कहा, इस तरह की सर्जरी की मांग लगातार बढ़ रही है और इसमें काफी उच्च स्तर के सर्जीकल स्किल्स और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अमेरिका में सिर्फ 4 प्रतिशत और यूके में 11 प्रतिशत सर्जंस ही इस प्रोसिजर का नियमित इस्तेमाल करते हैं। भारत में इस सर्जरी को करने वाले सर्जंस का आंकड़ा तो और भी काफी कम है।  डॉ. शैलेश ओझा, सीनियर कंसल्टेंट एवं एचओडी, कार्डियक एनेस्थेसिया ने बताया कि इन तथ्यों के बावजूद अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में यह सर्जरी बिना किसी अतिरिक्त लागत के स्किल्ड एवं अनुभवी डॉक्टरों की टीम द्वारा नियमित रूप से की जाती है।

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